”'””जूंझ टिल्लो से””””
हिरों सी सतरंगी मिट्टी,
हवा की सरसराहट के साथ आती,
सोन्दी खुश्बु भाती,
जीवन के रहस्यों को लिए,
धूप पिठ थपथपाती,
घोडों की दौडो के साथ,
ऊठो का काफिला,
हरिणो के झूंडो की ,
प्यास की बैचेनी बढाती,
जहाँ राखी की चाहत को,
बहन दूर गाँव से आती,
टिल्लो मे जूंझते फसल की आस को,
पत्नी दूर कौस खाना पहुँचाती,
वर्षा की आस में,
बदरा कों निहारती,
निगाहों को फुहारे ढाढस बंधाती,
रूष्क कंठ से चिड़िया,
इधर – उधर हाथ मारती,
नलकूप से तर गले को करके,
खुले आसमां में पर फैलाती,
नाम की आस मे ,
पुत्र पर एक किसान की पूंजी लगाई जाती,
जहाँ लूँ के थपेड़े,
डूबते सुर्य के स्वर्ण प्रतिबिम्ब नजारे,
आँखों को नम कर जाते ।।
।।।।।।।।। दशरथ सिंह भाटी जैसलमेर ।।।।।
”'””जूंझ टिल्लो से””””
हिरों सी सतरंगी मिट्टी,
हवा की सरसराहट के साथ आती,
सोन्दी खुश्बु भाती,
जीवन के रहस्यों को लिए,
धूप पिठ थपथपाती,
घोडों की दौडो के साथ,
ऊठो का काफिला,
हरिणो के झूंडो की ,
प्यास की बैचेनी बढाती,
जहाँ राखी की चाहत को,
बहन दूर गाँव से आती,
टिल्लो मे जूंझते फसल की आस को,
पत्नी दूर कौस खाना पहुँचाती,
वर्षा की आस में,
बदरा कों निहारती,
निगाहों को फुहारे ढाढस बंधाती,
रूष्क कंठ से चिड़िया,
इधर – उधर हाथ मारती,
नलकूप से तर गले को करके,
खुले आसमां में पर फैलाती,
नाम की आस मे ,
पुत्र पर एक किसान की पूंजी लगाई जाती,
जहाँ लूँ के थपेड़े,
डूबते सुर्य के स्वर्ण प्रतिबिम्ब नजारे,
आँखों को नम कर जाते ।।
।।।।।।।।। दशरथ सिंह भाटी जैसलमेर ।।।।।
Sir mera bhi name is sait ke lekhako me judave ji se me apni rachnae dal saku
💐💐🙏
हज
बहुत सुंदर रचना है।।सादर नमस्कार।।