“लाहौर फतह ”
दन-दन -दन -दन
चलती तोपें |
सन -सन सन सन
बन्दूक की गोली |
सीने पर माँ आवरण
दुर्गा माता बोली |
बचपन में बच्चे को
बढ़िया प्यार नहीं दे पाया |
सीमा पर लड़ने दुश्मन से
वीर निकल आया |
दूध पीने को दो घुट नहीं
भरपूर गोली वर्शाया|
दुश्मन के छक्के छूटे
लाहौर फतह कर आया ||
“सरहद”
सरहद पर लोगों को ,
समझा रहा हूँ मैं !
दीपावली है प्यारे वीर ,
साथ आ गया हूँ मैं !
सैनिक तुम्हारे साथ हम,
बता रहा हूँ मैं !
बलशाली वीर जवानों ,
गीत! मिल गा रहा हूँ मैं |
आदरणीय आपने रचनाकारों की सूची में मुझे सम्लित करके मेरे ऊपर कृपा की है |मैं सदा आप सभी का आभारी रहूँगा | साथ ही देश सेवा करता रहूँ आपके आशीर्वाद इसी तरह बना रहे | हार्दिक आभार !
श्रीमान !
आपकी काव्य संकलन के रचनाकारों की सूची में जुटने की लालसा रखा हूँ। महोदय से नम्र निवेदन है कि इस सूची में कैसे जुटे उसकी सुलह देने की कृपा की जाए।
होम साइट पे जाएँ….”महत्वपूर्ण तथ्य” को क्लिक करें उसमें “यहां रचनाएं कैसे लिखें” को क्लिक करें और उस अनुसार अपनी रचनाएं भेजिए….अपना नाम जोड़ने आदि के लिए सभी जानकारी उपलब्ध है !
हिंदी राष्ट्रभाषा?
हिंदी ने भारतीय भाषाओं की दीवार को तोड़ने का काम किया है।जबकि शिक्षा के प्रारंभिक चरण से ही हिंदी के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता रहा है। हिंदी के नाम पर प्रतियोगिताएं होती हैं| हिंदी के प्रयोग का मूल्यांकन होता है | पुरस्कार दिए जाते हैं, परंतु हिंदी को कोई अपना बनाता नहीं। यही कारण है कि बच्चों की सोच की क्षमता लगभग लगभग समाप्त होती जा रही है बच्चे केवल रटते रहते हुए अंग्रेजी ज्ञान को पढ़ते आ रहे हैं। हिंदी अपनों के बीच ही बेगाने होती जा रही है। स्कूली शिक्षा मैं राज भाषा और व्यावहारिक हिंदी की स्तरीय अनिवार्यता की कमी, हिंदी में आत्मविश्वास की कमी का कारण बनती जा रहा है। जिस हिंदी ने हमें आजादी दिलाई| एक दूसरे को जोड़े रखा| उस हिंदी को राष्ट्र भाषा का दर्जा दिलाने में हम सभी सफलता नहीं प्राप्त कर सके | यह बहुत विचारणीय विषय है। हिंदी भाषा स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख हथियार थी , इसके माध्यम से अंग्रेजो के खिलाफ योजनाएं बनाई गई, समाचार पत्रों के माध्यम से जन-जन तक सूचनाए पहुंचाई गई | हिंदी को गौरव दिलाने में हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अहम भूमिका निभाई | स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक, सुभाष चंद्र बोस आदि प्रमुख महापुरुषों ने भाग लिया | उन्होंने हिंदी का गौरव बनाए रखने के लिए अपना बहुमूल्य योगदान दिया।
हिंदी जनता के हृदय संयोग की भाषा थी | सम्मान पूर्वक बोली जाने वाली हिंदी एक प्रतिष्ठित भाषा है। आज हिंदी हिंदी के प्रति बच्चों में सोच की क्षमता लगभग समाप्त हो रही है| केवल रतटे हुए ज्ञान के माध्यम से घर के आस-पास देश काल को भीं नहीं जान पाते ,न हिंदी तिथियां हमारी हैं, न दिन हमारा है, न महीना हमारा है, न ऋतुएँ हैं, न गांव है, ना गांव के आस – पास के बिरवे रहते हैं, ना उन बिराओं पर अलग-अलग मौसम में तरह- तरह की बोली बोलने वाले पक्षी रहते हैं | आज अगर कुछ है तो केवल मम्मी पापा और मेज- कुर्सी है|
हिंदी के बारे में अगर सारे आंकडे पर नजर रखी जाए तो आंकड़े यह बताते हैं कि हिंदी विश्व में सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा है| यह विश्व के सैकड़ों विश्व विद्यालयों में पढ़ाई जा रही है। हिंदी भाषा के श्रेष्ठ हो जाने से अन्य भारतीय भाषाओं पर उसके प्राण तत्व पर कोई बोझ पड़ने वाला नहीं है | तमिल जैसी प्राचीन और समृद्ध भाषा को अपनी तुलना करवानी हो तो वह संस्कृत के साथ तुलना करवा सकती है। किसी भी देश की अपनी एक राष्ट्र भाषा होनी चाहिए। राष्ट्र भाषा के अभाव में किसी भी देश को हानि होती है। सन 18 53 फरवरी 2, को ब्रिटिश संसद के एक व्याख्यान में जिसमें कहा गया कि ‘ मैंने भारत की ओर छोर का भ्रमण किया है और मैंने एक भी आदमी नहीं पाया जो चोर हो ! इस देश में मैंने ऐसी समृद्धि ऐसे सक्षम व्यक्ति तथा ऐसी प्रतिभा देखी है कि मैं नहीं समझता कि इस देश को विजित (जीत) लेंगे | जब तक की हम इसके सांस्कृतिक एवं नैतिक मेरु दंड को तोड़ नहीं देते’ इसलिए मैं यह प्रस्ताव करता हूं कि हम भारत की प्राचीन शिक्षा पद्धति एवं संस्कृत को बदल दें, क्योंकि यदि भारतीय यह सोच लेंगे कि जो विदेशी और अंग्रेजी में है वह उनके आचार- विचार से अच्छा एवं बेहतर हैं तो वे अपना आत्मसम्मान एवं संस्कृत को छोड़ देंगे तथा वे एक पराधीन कौन बन जाएंगे | जो हमारी चाहत है| मैकाले की शिक्षा नीति भारतीयों को उनकी भाषा से पृथक कर वैचारी बनाने की है जिसे हम नहीं समझ सके।
मैकाले ने खुद अपने होम सेक्रेटरी को पत्र लिखा कि ‘मैं नहीं कह सकता कि भारत राजनीतिक रूप से आपके अधीन रह पाएगा, लेकिन इतना मैं अवश्य करके जा रहा हूं कि यह देश राजनीतिक स्वतंत्रता पा लेने के बाद भी अंग्रेजी मानसिकता अंग्रेजी सभ्यता और अंग्रेजी भाषा के प्रभाव से मुक्त नहीं हो सकेगा | उसका यह कथन अक्षरसः से सिद्ध हो रहा है| आज भी हम अंग्रेजी मानसिकता से मुक्त नहीं हो सके।
कोई भी देश जैसे जर्मन, जापान, रूस, इजराइल, फ्रांस या अन्य कई विकसित देशों के प्रतिनिधि मंडल जब किसी दुसरे देश के राज्य की यात्रा पर जाते हैं तो वे अपने साथ डूभाष्ये को लेकर जाते हैं क्यों कि उनकी अपनी राष्ट्र भाषा होती है ,परंतु भारत की अपनी राष्ट्र भाषा नहीं है। ऐसी स्थिति में जब हमारे कोई मंत्री दूसरे देश में जाता है तो उन्हें हिंदी में बात करने के लिए बाध्य होना पड़ता है। जबकि भाषा के प्रश्न को गंभीरता से लेते हुए उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एम एन वेंकटचलैया और न्यायमूर्ति एस मोहन की तत्कालीन खण्ड पीठ ने कहा था कि प्रारंभिक स्तर पर बच्चों को शिक्षा केवल मातृ भाषा में ही दी जानी चाहिए | मातृ भाषा में दी गई शिक्षा संस्कृति और परंपराओं पर गर्व करना सिखाती है।कर्नाटक सरकार ने उच्चतम न्यायालय के आदेश को स्वीकार कर एक ऐतिहासिक और साहसिक कार्य किया। जिसका अंग्रेजी मानसिकता के अभिभावकों ने ज़ोरदार विरोध किया था। परंतु दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण विरोधी मानसिकता वालों की एक न चली।
भारत की वर्तमान सरकार नई शिक्षा नीति में बदलाव के साथ मातृ भाषा पढ़ाए जाने पर जोर दिया है।
भारत सरकार से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ साथ कुछ हद तक नागरिकों की हिंदी के प्रति नीरस मानसिकता भी उत्तर दाई है। हमारे देश में नागरिकों और कर्मचारियों की एक बड़ी तादाद है जो स्वदेश की भावना को व राज भाषा के महत्व को समझ नहीं पाता , भाषण व संस्कृत के ज्ञान व समझ में कमी के चलते बे वजह के मोह ने हिंदी के प्रति हम समर्पित नहीं हो पाते।
– सुखमंगल सिंह ,अवध निवासी
Mai apna page nahi khol pa rha hu.. kripya sahayata kare..
तमन्ना ए जिंदगी
“लाहौर फतह ”
दन-दन -दन -दन
चलती तोपें |
सन -सन सन सन
बन्दूक की गोली |
सीने पर माँ आवरण
दुर्गा माता बोली |
बचपन में बच्चे को
बढ़िया प्यार नहीं दे पाया |
सीमा पर लड़ने दुश्मन से
वीर निकल आया |
दूध पीने को दो घुट नहीं
भरपूर गोली वर्शाया|
दुश्मन के छक्के छूटे
लाहौर फतह कर आया ||
“सरहद”
सरहद पर लोगों को ,
समझा रहा हूँ मैं !
दीपावली है प्यारे वीर ,
साथ आ गया हूँ मैं !
सैनिक तुम्हारे साथ हम,
बता रहा हूँ मैं !
बलशाली वीर जवानों ,
गीत! मिल गा रहा हूँ मैं |
आदरणीय आपने रचनाकारों की सूची में मुझे सम्लित करके मेरे ऊपर कृपा की है |मैं सदा आप सभी का आभारी रहूँगा | साथ ही देश सेवा करता रहूँ आपके आशीर्वाद इसी तरह बना रहे | हार्दिक आभार !
add my name in रचनाकारों की सूची
सुमित जैन
मेरा नाम रचनाकारों की सूची में दर्ज करें
Ji v khosis Kar ra hu
मेरा नाम रचनाकारों की सूची में शामिल करें
आपसे नम्र आग्रह है कि कृपया मेरा नाम भी रचनाकारों की सूची में सम्मिलित करें। प्रभात सिंह राणा ‘भोर’
विनम्र निवेदन है की आप मेरा भी नाम रचनाकारों की सूची में जोड़े .plz.
एंजेल यादव (अंजली यादव)
plz mera naam v darz Kar sakte Hai aap qki Maine v apne apko kafi improve Kia Hai
महोदय
कृपया मेरा नाम “मनुराज वार्ष्णेय” रचनाकारों की सूची में संकलित कर दीजिए ।
आपसे विनम्र निवेदन है ।
मुझे भी कवियों की लिस्ट मे रखा जाये
ऐसी प्रार्थना है
महोदय
नमस्कार!
कृपया मुझे बताएं कि रचनाकारों की सूची में मैं अपना नाम कैसे शामिल कर सकती हूँ ।
कृपया उत्तर अवश्य दें ।धन्यवाद
श्रीमान !
आपकी काव्य संकलन के रचनाकारों की सूची में जुटने की लालसा रखा हूँ। महोदय से नम्र निवेदन है कि इस सूची में कैसे जुटे उसकी सुलह देने की कृपा की जाए।
होम साइट पे जाएँ….”महत्वपूर्ण तथ्य” को क्लिक करें उसमें “यहां रचनाएं कैसे लिखें” को क्लिक करें और उस अनुसार अपनी रचनाएं भेजिए….अपना नाम जोड़ने आदि के लिए सभी जानकारी उपलब्ध है !
हिंदी राष्ट्रभाषा?
हिंदी ने भारतीय भाषाओं की दीवार को तोड़ने का काम किया है।जबकि शिक्षा के प्रारंभिक चरण से ही हिंदी के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता रहा है। हिंदी के नाम पर प्रतियोगिताएं होती हैं| हिंदी के प्रयोग का मूल्यांकन होता है | पुरस्कार दिए जाते हैं, परंतु हिंदी को कोई अपना बनाता नहीं। यही कारण है कि बच्चों की सोच की क्षमता लगभग लगभग समाप्त होती जा रही है बच्चे केवल रटते रहते हुए अंग्रेजी ज्ञान को पढ़ते आ रहे हैं। हिंदी अपनों के बीच ही बेगाने होती जा रही है। स्कूली शिक्षा मैं राज भाषा और व्यावहारिक हिंदी की स्तरीय अनिवार्यता की कमी, हिंदी में आत्मविश्वास की कमी का कारण बनती जा रहा है। जिस हिंदी ने हमें आजादी दिलाई| एक दूसरे को जोड़े रखा| उस हिंदी को राष्ट्र भाषा का दर्जा दिलाने में हम सभी सफलता नहीं प्राप्त कर सके | यह बहुत विचारणीय विषय है। हिंदी भाषा स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख हथियार थी , इसके माध्यम से अंग्रेजो के खिलाफ योजनाएं बनाई गई, समाचार पत्रों के माध्यम से जन-जन तक सूचनाए पहुंचाई गई | हिंदी को गौरव दिलाने में हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अहम भूमिका निभाई | स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक, सुभाष चंद्र बोस आदि प्रमुख महापुरुषों ने भाग लिया | उन्होंने हिंदी का गौरव बनाए रखने के लिए अपना बहुमूल्य योगदान दिया।
हिंदी जनता के हृदय संयोग की भाषा थी | सम्मान पूर्वक बोली जाने वाली हिंदी एक प्रतिष्ठित भाषा है। आज हिंदी हिंदी के प्रति बच्चों में सोच की क्षमता लगभग समाप्त हो रही है| केवल रतटे हुए ज्ञान के माध्यम से घर के आस-पास देश काल को भीं नहीं जान पाते ,न हिंदी तिथियां हमारी हैं, न दिन हमारा है, न महीना हमारा है, न ऋतुएँ हैं, न गांव है, ना गांव के आस – पास के बिरवे रहते हैं, ना उन बिराओं पर अलग-अलग मौसम में तरह- तरह की बोली बोलने वाले पक्षी रहते हैं | आज अगर कुछ है तो केवल मम्मी पापा और मेज- कुर्सी है|
हिंदी के बारे में अगर सारे आंकडे पर नजर रखी जाए तो आंकड़े यह बताते हैं कि हिंदी विश्व में सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा है| यह विश्व के सैकड़ों विश्व विद्यालयों में पढ़ाई जा रही है। हिंदी भाषा के श्रेष्ठ हो जाने से अन्य भारतीय भाषाओं पर उसके प्राण तत्व पर कोई बोझ पड़ने वाला नहीं है | तमिल जैसी प्राचीन और समृद्ध भाषा को अपनी तुलना करवानी हो तो वह संस्कृत के साथ तुलना करवा सकती है। किसी भी देश की अपनी एक राष्ट्र भाषा होनी चाहिए। राष्ट्र भाषा के अभाव में किसी भी देश को हानि होती है। सन 18 53 फरवरी 2, को ब्रिटिश संसद के एक व्याख्यान में जिसमें कहा गया कि ‘ मैंने भारत की ओर छोर का भ्रमण किया है और मैंने एक भी आदमी नहीं पाया जो चोर हो ! इस देश में मैंने ऐसी समृद्धि ऐसे सक्षम व्यक्ति तथा ऐसी प्रतिभा देखी है कि मैं नहीं समझता कि इस देश को विजित (जीत) लेंगे | जब तक की हम इसके सांस्कृतिक एवं नैतिक मेरु दंड को तोड़ नहीं देते’ इसलिए मैं यह प्रस्ताव करता हूं कि हम भारत की प्राचीन शिक्षा पद्धति एवं संस्कृत को बदल दें, क्योंकि यदि भारतीय यह सोच लेंगे कि जो विदेशी और अंग्रेजी में है वह उनके आचार- विचार से अच्छा एवं बेहतर हैं तो वे अपना आत्मसम्मान एवं संस्कृत को छोड़ देंगे तथा वे एक पराधीन कौन बन जाएंगे | जो हमारी चाहत है| मैकाले की शिक्षा नीति भारतीयों को उनकी भाषा से पृथक कर वैचारी बनाने की है जिसे हम नहीं समझ सके।
मैकाले ने खुद अपने होम सेक्रेटरी को पत्र लिखा कि ‘मैं नहीं कह सकता कि भारत राजनीतिक रूप से आपके अधीन रह पाएगा, लेकिन इतना मैं अवश्य करके जा रहा हूं कि यह देश राजनीतिक स्वतंत्रता पा लेने के बाद भी अंग्रेजी मानसिकता अंग्रेजी सभ्यता और अंग्रेजी भाषा के प्रभाव से मुक्त नहीं हो सकेगा | उसका यह कथन अक्षरसः से सिद्ध हो रहा है| आज भी हम अंग्रेजी मानसिकता से मुक्त नहीं हो सके।
कोई भी देश जैसे जर्मन, जापान, रूस, इजराइल, फ्रांस या अन्य कई विकसित देशों के प्रतिनिधि मंडल जब किसी दुसरे देश के राज्य की यात्रा पर जाते हैं तो वे अपने साथ डूभाष्ये को लेकर जाते हैं क्यों कि उनकी अपनी राष्ट्र भाषा होती है ,परंतु भारत की अपनी राष्ट्र भाषा नहीं है। ऐसी स्थिति में जब हमारे कोई मंत्री दूसरे देश में जाता है तो उन्हें हिंदी में बात करने के लिए बाध्य होना पड़ता है। जबकि भाषा के प्रश्न को गंभीरता से लेते हुए उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एम एन वेंकटचलैया और न्यायमूर्ति एस मोहन की तत्कालीन खण्ड पीठ ने कहा था कि प्रारंभिक स्तर पर बच्चों को शिक्षा केवल मातृ भाषा में ही दी जानी चाहिए | मातृ भाषा में दी गई शिक्षा संस्कृति और परंपराओं पर गर्व करना सिखाती है।कर्नाटक सरकार ने उच्चतम न्यायालय के आदेश को स्वीकार कर एक ऐतिहासिक और साहसिक कार्य किया। जिसका अंग्रेजी मानसिकता के अभिभावकों ने ज़ोरदार विरोध किया था। परंतु दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण विरोधी मानसिकता वालों की एक न चली।
भारत की वर्तमान सरकार नई शिक्षा नीति में बदलाव के साथ मातृ भाषा पढ़ाए जाने पर जोर दिया है।
भारत सरकार से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ साथ कुछ हद तक नागरिकों की हिंदी के प्रति नीरस मानसिकता भी उत्तर दाई है। हमारे देश में नागरिकों और कर्मचारियों की एक बड़ी तादाद है जो स्वदेश की भावना को व राज भाषा के महत्व को समझ नहीं पाता , भाषण व संस्कृत के ज्ञान व समझ में कमी के चलते बे वजह के मोह ने हिंदी के प्रति हम समर्पित नहीं हो पाते।
– सुखमंगल सिंह ,अवध निवासी
Dhanyawaad🙏
Sir…..Please
मेरा नाम “मनुराज वार्ष्णेय” रचनाकारों की सूची में संकलित कर दीजिए
महाशय,मेरा नाम विनय कुमार’विनायक’ रचनाकार सूची में शामिल करने की कृपा करें-विनय कुमार’विनायक’, दुमका, झारखंड-814101.संपर्क
9431549138.
विनम्र निवेदन है की आप मेरा भी नाम रचनाकारों की सूची में जोड़े AJAY KUMAR PIYUSH
आपका स्नेह मुझे भी प्राप्त हो
Rachnakaro ki suchi me apna name kis prakar darj kraya ja sakta h
निवेदन है रचनाकारों की सूची में मेरा नाम भी अंकित करें, आभार !
मेरा नाम रचनाकारों की सूची में जोड़े
Pls
आप से आग्रह है कि सर मेंरा नाम भी सूची में जोड़े जिस से में अपनी रचना का प्रकाशन कर , हिंदी भाषा के लिए अपना योगदान दे सकू🙏
नाम- मुकेश तेली
मेरा भी नाम रचनाकारों की सूची में डालने की कृपा करें , जिससे अपनी रचनायें आप तक पहुँचा सकूँ ।
कृपया मेरा नाम भी रचनाकारों की सूचि में सम्मिलित करें
कृपया मेरा नाम भी रचनाकारों की सूची में सम्मिलित करें ।