Category: अज्ञात कवि
अल्फाज नहीं, मै जज्बात लिखती हू दिल से निकली वो हर बात लिखती हू जिन शहरो में मोहब्बत जिस्म पर, आकर ख़त्म हो जाती है , ऐसे शहरो को …
आज़ादी के पावन दिन पर, मातृभूमि का श्रृंगार करो देश ध्वजा का संदेश यहीं, वैर भाव का संहार करो।। जो मिट गए, जो खो गए, हाथ थाम तिरंगा सो …
खुशियाँ अपने साथ लाया सबके मन को बहुत है भाया । देखो फिर सावन का महीना आया । आसमान में काले बादल उमड़ घुमड़ कर आते जाते । रिमझिम …
मैं निशा हूं सोचा कि आज कह ही दूं सबकुछ। निर्दोष हूं, अकेली हूं, प्यारी भी हूं सचमुच। मेरी तन्हाई को सिर्फ वहीं समझ सकता है- जिसने आविरक्त प्रेम …
कुछ बताया जा रहा है। कुछ छुपाया जा रहा है। बन न पाए उनसे हम तो पर बनाया जा रहा है। दर्द देकर बिन दवा के चुप कराया जा …
अमर भारती वसुन्धरा की शान हमारी हिन्दी है |देश धर्म शासन सत्ता की जान हमारी हिन्दी है ||प्रलयंकर शंकर डमरू से निकली भाषा हिन्दी है|अमर शहीदों के साहस की …
कल रात भर अल्फाजो़ं की बारिश होती रही कुछ बेहद नर्म और मुलायम तो कुछ पत्थर से सख्त मैं भीगती रही उस बारिश में कुछ अल्फाज़ फर्श पर गिरे …
धारा 370 के ऐतिहासिक निर्णय पर ,लद्धाख के प्रतिनिधि के भाषण के विचारों मे बांधने का प्रयत्न किया है, उस अनजान कोलाहल से, परिचत सन्नाटा बेहतर है। गीदड़ की …
समस्या एक है बहुत ही उत्कट,आज भी हिन्दुस्तान कीआवाज नहीं है कोई सुनता,लाचारगरीबकिसान कीसमस्या एक है …. काम कोई पड़ जाए तो फिर, दौड़े आफिस आफिससाहब साहब कहता भागे, …
किसान की व्यथा समस्या एक है बहुत ही उत्कट,आज भी हिन्दुस्तान कीआवाज नहीं है कोई सुनता,लाचारगरीबकिसान कीसमस्या एक है …. काम कोई पड़ जाए तो फिर, दौड़े आफिस आफिससाहब …
प्लास्टिक से आजादी स्वरचित-नीरज कुमार सिंह, लखनऊप्लास्टिक बोतल है,नषा है, बैग हैजानलेवा बीमारी है,अफीम की तरह।प्लास्टिक की बाढबाजार में आयी हैनर-नारी, जानवरसब पर वह भारी है।।प्लास्टिक ज्वालामुखी है,उसके धंुए …
माँमाँ शब्द नहीं संसार है, अमिट अमिय की धार है माँ होती ऐसी क्षीरसागर, जिसमें ममता प्यार दुलार हैमाँ शब्द नहीं ……. माँ जन्मदात्री अधिष्ठात्री, सुखमय सुखदात्री माँ ही …
बीता जो दिवस तो निशा फिर आई लेकिन साथ में सोम किरण है लाई क्षीर सी कौमदी चहुँ ओर है छाई तटिनी तट घूमने की इच्छा हो आई शर्वरी …
स्वयम्भू की इस उर्वी पर क्या से क्या हो गया मनुस्मृति में जो लिखा था,सब कहाँ खो गया जिसकी ऊँचाइयाँ होती थी भूमिधर के शीर्ष तक उस नैतिकता का …
गर हो नजर तुम जो तो ये लब खामोश होते हैंहोते नयनों से ओझल ही दिल भी होश खोते है बसते ख्वाब मिलने को मेरे मन में अभी उनसे …
एक बार फिर आ गया ये जन्मदिनपुरानी यादें फिर दिला गया ये जन्मदिनउम्र के बढ़ते क्रम को थोड़ा और बढ़ा गया ये जन्मदिनएक दिन का राजा फिर बना गया …
न रूकता है ना थकता है ये शहर समुंदर का किनारा अच्छा लगता है दिलाें मे सभी के बेचैनी है हर डगर यहॉं वक्त के पिछे दाैडना पडता है …
कैंसर वाला बच्चा बड़ा हो रहा हैलड़खड़ाते हैं पाँव उसके…. फिर भी!वो अपने कमजोर पाँव पे, खड़ा हो रहा है।कैंसर वाला बच्चा बड़ा हो रहा है। मालूम है उसको… …
बरसात के भीगे मौसम में ढलती हुई एक शाम में आओ बैठो साथ में कुछ बात करते है कुछ कहते हैं, कुछसुनते है कुछ अपनी और कुछ अपनों की …
।।प्रक्रति के वासी।। हम गरीब है साहव, हमे वनो मे ही रहने दो दो जून की रोटी मे ही हम सबको खुश रहने दो हम गरीब है साहव हमे …
नारी तेरा जग में बहुत घटा है मान जग को रचने वाली तू जग का तू अभिमान जन-जन को है जानने वाली तू क्यों भूला इंसान देख के तेरा …
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Raah dekhi thi is din ki kabse, Aage ke sapne saja rakhe the naajane kab se. Bade utavle the yahaan se jaane ko , Zindagi ka agla padaav paane …
मेरे युग का मुहावराहै फ़र्क नहीं पड़तामैं जागा हूँ या सोयापाया हूँ या खोयाक्या लिया क्या दियाअपना लबादा फाड़ केअपने से सीयाचल रहा पर टूटतीनहीं जड़तामेरे युग का मुहावराहै …
है रात घनी अँधेरा बड़ाबीच मजधार मुसाफिर खड़ाये लगे थपेड़े आंधी केदेख सामने है तूफ़ान बड़ाहै रात घनी अँधेरा बड़ाथा चला जीतने इंद्रधनुषथी पानी फ़तेह इन लहरों परतूफानों ने …