Category: प्रेम नरायन
रिश्तों में अदाकारी से बचिए
रिश्तों में अदाकारी से बचिए,
रिश्तों में अदाकारी से बचिए , .
चाहने से कुछ होता है क्या?
उसके शहर में कुछ हुआ है क्या ? बच्चा रोता है बहुत, भूखा है क्या? उनके रैली में लाखों कि भीड़ थी , भीड़ को दिमाग होता है क्या …
रिश्ता हर, दीवार सा लगता है
रिश्ता हर, दीवार सा लगता है झूठा इश्तहार सा लगता है, प्यार मोहब्बत सीधे-सादे रस्ते है, चलना इन पर तलवार सा लगता है, खुदगर्जी ने दोस्त बनाये बहुत मगर …
आदमी- आदमी को नहीं पहचानता है ,
इतना तो हर कोई मानता है , गुजरती है जिस पर, वही जानता है. कितना कठिन समय है दोस्तों, आदमी- आदमी को नहीं पहचानता है , झोपड़ी तक सूरज …
घोड़े पर चढ़ना ,हाथी पर चढ़ना .
घोड़े पर चढ़ना ,हाथी पर चढ़ना , मगर यार मेरे किसी के नज़र पे न चढ़ना, प्यार करना किसी को तो खूब डूब के करना , मगर दोस्त मेरे, …
कितना घना कोहरा है ,कहीं उजाला तो हो
कितना घना कोहरा है ,कहीं उजाला तो हो , कहीं कोई सूरज , निकलने वाला तो हो . उसने पेट अपना , घुटने से छिपा रखा है , वो …
मन हमारा अभिमान में रहता है ,
मन हमारा अभिमान में रहता है , तन दिखावे के लिए सम्मान में रहता है , डोर सांसों की एक दिन टूटनी ही है . कब तक पतंग आसमान …
घायल को अस्पताल ले जाने वाले
राह में किसी घायल से कतरा के निकल जाने वाले , अब नहीं मिलते उन्हें अस्पताल पहुँचाने वाले . उन्होंने गरीबी की एक रेखा खींच रखी है , जिसमे …
ओबामा के देश में मनाऊ सबकी खैर
ओबामा के देश में मनाऊ सबकी खैर , ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर . आँगन-आँगन दीवारे है छतों का छूटा संग , तारों में उलझी हुई है …
मुस्कुराहटों ने भी पहचान लिए है
मुस्कुराहटों ने भी पहचान लिए है , अपने-अपने चेहरे , बेशर्म मुस्कराहट रहनुमाओ के चेहरों पर , आम आदमी के चेहरों पर बेबसी की मुस्कराहट , ये यही चिपके …
मेरे भीतर की स्त्री
मेरे भीतर एक स्त्री रहती है जो पढ़ लेती है आँखों की भाषा , नोच लेती है मेरा आवरण और , गिन लेती है चेहरे पर उदासी की सभी …
मेरे शहर में है एक अलसाया हुआ बाज़ार
मेरे शहर में है एक अलसाया हुआ बाज़ार , महंगाई की मार से मुरझाया हुआ बाज़ार , सड़कें बोलती है बहुत तो गलियां है खामोश , हादसे के गवाह …
फुरसत मिले कभी तो
फुरसत मिले कभी तो जरा सोचिये हुजूर , कहाँ ले जा रहे है हमे कुछ बोलिए हुजूर . कभी के पक गए हमारे पाँव के छाले , बाँधी है …
आये दिन का अत्याचार
आये दिन का अत्याचार सबके सामने है , हर रोज का अखबार सबके सामने है , अनपढ़ है जो यकीनन शरीफ है , पढ़े-लिखों का व्यवहार सबके सामने है …
जिस्म में जान अभी बाकी है
जिस्म में जान अभी बाकी है , दिल में अरमान अभी बाकी है , हौंसलों को उड़ान भरने दो, पूरा आसमान अभी बाकी है , थक हार के रस्ते …
दूर के ढोल सुहाने निकले
दूर के ढोल सुहाने निकले वे भूखमरी मिटाने निकले, कितना कौन गरीब यहाँ है एक से एक पैमाने निकले, कहाँ मिलेगा सस्ता खाना नेता लोग बताने निकले, घोटालो के …
अक्सर तो चुप रहना पड़ता है
अक्सर तो चुप रहना पड़ता है, बाकी सुनना तो सबका पड़ता है. सांत्वना देने वाले कब के लौटे, दुःख अपना खुद सहना पड़ता है, गम का चादर कितना भारी …