Category: सीमा वर्मा ‘अपराजिता’
खुशियों से नाराज है मेरी जिंदगी, जिंदगी की मोहताज है मेरी जिंदगी,लोगों को दिखाने के लिए हँसती हूँ मगर,दर्द की किताब है मेरी जिंदगी ॥ सीमा वर्मा”अपराजिता” Оформить и …
हो रही है पराजित ये अपराजिता,जल रही है इसके अरमानो की चिता,हर दर्द जीतने को बेताब हो रहा है,हर सपना जैसे ख्वाब हो रहा है, मुस्कान होठों से दूर …
देखते हैं ये दर्द मुझे कितना रुलाएगा, खुद हारेगा या मुझे हराएगा, आज फिर मेरी मुस्कुराहट और दर्द के बीच जंग जारी है , कभी दर्द मुस्कुराहट पर तो …
लगाकर गले से मुझको सनम प्यार के सारे तुम एहसास दे देना गा उठें मेरे दिल की धड़कनें सभीसाँसों को मेरी तुम साज़ दे देना लगाकर गले से मुझको …
तेरी ख़्वाहिशों से जुदा मेरी हसरत न होगी ,वादा है ये फिर मोहब्बत न होगी ,सजायेगा तू जिस तरह से मुझे कभी उससे अलग मेरी रंगत न होगी ,वादा …
भारत की आन ,बान, शान के लिए इसकी स्वतंत्र पहचान के लिए शूली पे चढ़ गए वीर कितनेमाँ भारती के धानी परिधान के लिएमाँ भारती के धानी परिधान के …
झुकी हुई नज़रों से ये इज़हार करते हैंखुद से ज्यादा उन्हें हम प्यार करते हैंसुर्ख़ लबों पर कितने गुलाब खिल उठेंचूमकर पेशानी जब वो इक़रार करते हैं,झुकी हुई नज़रों …
ख़ामोश लबों से वो बस ये दुआ करते हैं ,रहूँ सलामत मैं ,रब से ये इल्तिज़ा करते हैं,दर्द देती हैं उन्हें खामोशियाँ मेरी ,हर आह को मेरी वो सुना …
आवाज़ सिसकियों की दबी -दबी सी है ,हर वक़्त आँखों में अब नमी सी है ,वक़्त अब तन्हां गुजरने लगा हैहर लम्हें में तेरी ही कमी – सी है …
काली – स्याह सर्द रातों में तन्हाई में लिपटी तेरी यादों सेगुमसुम -सी खामोश खड़ी मैं बातें करती तेरी बातों सेकाली -स्याह सर्द रातों में ,,,,,,,,,बूँद -बूँद है नीर …
अपने कलुषित अंतरतम मेंउज्ज्वल ज्योति जलाऊँगीज्ञान की ओजस किरणों सेमन का अंधकार मिटाऊँगीइस बार दीवाली पर खुद ही मैं एक दीपक बन जाऊँगी,,,,,,,,अम्बर से लेकर अवनि तक चहुँ दिशि …
पलकों की चिलमन तले छुपा लिए हैं दिल के राज़ सभीग़म हो या ख़ुशी के पल हों मिलेअब ज़ाहिर होते हैं नहीं कभी पलकों की चिलमन ,,,,,,किसे बताऊँ ,किसे …
पैरों की थिरकन सबने देखीदेखा न रिसते घाव को लहरें देखी सागर की सबने देखा न चलती नाव को ,,,फलों के अपने बोझ से हीझुक गई है उस वृक्ष …
हम याद रहें न रहें हमारी हर बात याद रहेगी यक़ीन मानो हमारा ,अपनी हर मुलाक़ात याद रहेगी ,जब करके दुनिया को नज़रंदाज़ मिलने पहुँची थी तुमसे करके श्रृंगार,वो …
हूँ आज मैं यह सोंचती यह है मेरा प्रतिकार शायदक्यूँ तू लज्जित आज खुद परहै तुम पर मेरा अधिकार शायदहै आज क्यों यह हृदय विकलक्यूँ अश्रुपूर्ण है नेत्र सज़लक्यूँ …
बारिश का ये मौसम साजन तेरी याद दिलाता है प्यार से तेरे भीगा तन – मन,तुझको पास बुलाता है,,,बारिश की इन बूँदों में तस्वीर तेरी अब दिखती है ,,महसूस …
मेरे साजन तुझ भी बिन देखो कैसे मैं कुम्हलाई हूँरंग नहीं है मुझपर कोई बस काली एक परछाईं हूँआकर मेरा रूप निखारोकरो प्रेम से तुम श्रृंगार बाहों में भरकर …
छुपी असंख्य तहों के भीतर ,मन की दुनिया अंतरंग मे ,देख नहीं पता तू उसको ,भटक रहा क्यो बहिरंग में ,ध्वनि आत्मा की क्षीण सही ,पर सच्ची बात बताती …
बेशक मेरी हार हुई है मंज़िल की इन राहों में फिर भी मैं जीतूंगी एक दिन है विश्वास निगाहों में …हर असफलता मुझे सफलता से दूरकिन्तु मंज़िल के एक …
तेरे नैनो से छलक रही है तेरे प्रेम की रस -धार तन – मन मेरा भीग रहा हैजैसे हो सावन की प्रथम फुहार,,,खुद को मैं भी जान रही हूँ …
ये कुहासे की चादर में लिपटी हुई धराऔर बादलों से घिरा हुआ अम्बर,ठण्ड में काँपता सारा जहांसूरज की एक किरण का इंतजार करता,इन सब बातों से बेअसर ,बेखबर होकेमैं …
न जाने क्यों मेरे साजन तुम याद बहुत अब आते हो बंद करूँ मैं आँखें तब भी तुम मुझको दिख जाते हो ,न जाने क्यों,,,,,,,धड़कन में मेरी गूँज रही …
वो खामोश सी आहट तेरे क़दमों की ,उम्मीदों की देहरी पर जाने कितने चिरागों को रोशन करती है ,शाम का सूरज ढलते -ढलते उम्मीदों की किवाड़ के सांकल को …
नूतन किरणें ,नूतन प्रभात ,है नूतन यह वर्ष ,नूतन ऊर्जा,नूतन खुशियाँ ,है दिलों में नूतन हर्ष ,,,,,,बीत रहा जो साल है वो यादें बन जायेगा ,आने वाला कल नई …
नग़मे कई प्यार के मैंने तुझे हैं सुनाये सनमतू भी कभी सुना दे मुझे प्यार की एक कोई चाशनी सी ग़ज़लनग़मे कई ,,,,,मेरी कल्पनाओं में रंग तुझसे हैंमेरी भावनाओं …