Category: नज़्म तबा तबाई
फुटकर शे’र
न शोख़ी क हया की वज़अ़ में अब फ़र्क़ आता है। गु़बार ऊँचा न हो जाय कहीं हम ख़ाकसारों का॥ लिहाज़ इतना अभी तक हज़रते-नासेह का बाकी़ है। वो …
कुछ क़तआत
कहाँ तक रास्ता देखा करें हम बर्के़-खिरमन का। लगाकर आग देखेंगे तमाशा अब नशेमन का॥ अदाये-सादगी में कंघी-चोटी ने ख़लल डाला। शिकन माथे पे, अबरू में गिरह, गेसू में …
कहने सुनने से ज़रा पास आके बैठ गए
कहने सुनने से ज़रा पास आके बैठ गये। निगाह फेर के त्योरी चढ़ा के बैठ गये॥ निगाहे-यास मेरी काम कर गई अपना। रुलाके उट्ठे थे वो मुस्करा के बैठ …