Category: निदा फ़ाज़ली
होश वालों को ख़बर क्या बेख़ुदी क्या चीज़ है इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िन्दगी क्या चीज़ है उन से नज़रें क्या मिली रोशन फिजाएँ हो गईं आज जाना प्यार …
हुआ सवेरा ज़मीन पर फिर अदब से आकाश अपने सर को झुका रहा है कि बच्चे स्कूल जा रहे हैं नदी में स्नान करने सूरज सुनारी मलमल की पगड़ी …
हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा किससे पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ बरसों से हर जगह ढूँढता फिरता …
वो शोख शोख नज़र सांवली सी एक लड़की जो रोज़ मेरी गली से गुज़र के जाती है सुना है वो किसी लड़के से प्यार करती है बहार हो के, …
सब की पूजा एक सी, अलग अलग हर रीत मस्जिद जाये मौलवी, कोयल गाये गीत पूजा घर में मूर्ती, मीरा के संग श्याम जितनी जिसकी चाकरी, उतने उसके दाम …
वो शोख शोख नज़र सांवली सी एक लड़की जो रोज़ मेरी गली से गुज़र के जाती है सुना है वो किसी लड़के से प्यार करती है बहार हो के, …
मस्जिद का गुम्बद सूना है मंदिर की घंटी खामोश जुज्दानो मे लिपटे सारे आदर्शों को दीमक कब की चाट चुकी है रंग ! गुलाबी नीले पीले कहीं नहीं हैं तुम …
ये दिल कुटिया है संतों की यहाँ राजा भिकारी क्या वो हर दीदार में ज़रदार है गोटा किनारी क्या ये काटे से नहीं कटते ये बांटे से नहीं बंटते …
ये ज़िन्दगी आज जो तुम्हारे बदन की छोटी-बड़ी नसों में मचल रही है तुम्हारे पैरों से चल रही है तुम्हारी आवाज़ में ग़ले से निकल रही है तुम्हारे लफ़्ज़ों …
मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार दुख ने दुख से बात की बिन चिठ्ठी बिन तार छोटा करके देखिये जीवन का विस्तार आँखों भर आकाश है बाहों …
मुहब्बत में वफ़ादारी से बचिये जहाँ तक हो अदाकारी से बचिये हर एक सूरत भली लगती है कुछ दिन लहू की शोबदाकारी से बचिये शराफ़त आदमियत दर्द-मन्दी बड़े शहरों में …
मुँह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन आवाज़ों के बाज़ारों में ख़ामोशी पहचाने कौन । सदियों-सदियों वही तमाशा रस्ता-रस्ता लम्बी खोज लेकिन जब हम …
मस्जिदों-मन्दिरों की दुनिया में मुझको पहचानते कहाँ हैं लोग रोज़ मैं चांद बन के आता हूँ दिन में सूरज सा जगमगाता हूँ खनखनाता हूँ माँ के गहनों में हँसता …
बेसन की सोंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी माँ याद आती है चौका-बासन चिमटा फुकनी जैसी माँ बाँस की खुर्री खाट के ऊपर हर आहट पर कान धरे आधी …
बदला न अपने आप को जो थे वही रहे मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे दुनिया न जीत पाओ तो हारो न ख़ुद को तुम थोड़ी बहुत तो …
नहीं यह भी नहीं यह भी नहीं यह भी नहीं, वोह तो न जाने कौन थे यह सब के सब तो मेरे जैसे हैं सभी की धड़कनों में नन्हे …
नयी-नयी पोशाक बदलकर, मौसम आते-जाते हैं, फूल कहॉ जाते हैं जब भी जाते हैं लौट आते हैं। शायद कुछ दिन और लगेंगे, ज़ख़्मे-दिल के भरने में, जो अक्सर याद …
नयी-नयी आँखें हों तो हर मंज़र अच्छा लगता है कुछ दिन शहर में घूमे लेकिन, अब घर अच्छा लगता है । मिलने-जुलनेवालों में तो सारे अपने जैसे हैं जिससे …
नज्म बहुत आसान थी पहले घर के आगे पीपल की शाखों से उछल के आते-जाते बच्चों के बस्तों से निकल के रंग बरंगी चिडयों के चेहकार में ढल के …
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो ज़िन्दगी क्या है किताबों को हटा कर देखो वो सितारा है चमकने दो यूँ ही आँखों में क्या ज़रूरी है उसे …
देखा हुआ सा कुछ है तो सोचा हुआ सा कुछ हर वक़्त मेरे साथ है उलझा हुआ सा कुछ होता है यूँ भी रास्ता खुलता नहीं कहीं जंगल-सा फैल …
दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है मिल जाये तो मिट्टी है खो जाये तो सोना है अच्छा-सा कोई मौसम तन्हा-सा कोई आलम हर वक़्त का रोना तो …
दीवार-ओ-दर से उतर के परछाइयाँ बोलती हैं कोई नहीं बोलता जब तनहाइयाँ बोलती हैं परदेस के रास्ते में लुटते कहाँ हैं मुसाफ़िर हर पेड़ कहता है क़िस्सा पुरवाईयाँ बोलती …
दिल में ना हो ज़ुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती ख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती कुछ लोग यूँ ही शहर में हमसे भी ख़फा हैं हर एक से …
दिन सलीक़े से उगा रात ठिकाने से रही दोस्ती अपनी भी कुछ रोज़ ज़माने से रही चंद लम्हों को ही बनती हैं मुसव्विर आँखें ज़िन्दगी रोज़ तो तस्वीर बनाने …