आज का कौन हैं? वो बस एक था ! जिसने सीता हरण किया। पर वो तो महाज्ञानी था ! आज तो रवां हर कहि दीखते अलग -अलग रूपों में …
आज का कौन हैं? वो बस एक था ! जिसने सीता हरण किया। पर वो तो महाज्ञानी था ! आज तो रवां हर कहि दीखते अलग -अलग रूपों में …
ये क्या टूटा हैं ? जिसके टूटने की आवाज नहीं आई? जिसके टुकड़े फैले हैं कहाँ -कहाँ? क्या किसी के दिल टुकड़े हैं? क्यों फिर किसी के दिल को …
मैं नदिया हूं, चुलबुली आज़ाद, निराली हूं. ज़मीन पर रहकर, आसमान को समाती हूं. मन आए तो, सबको सताती हूं. मुझसे खुशियां, मुझसे ही दुख. लहराती हूं फिर भी, …