मिर्ज़ा ग़ालिब के मशहूर शेर Pandey Satish 29/05/2015 मिर्ज़ा ग़ालिब No Comments आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक… इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना दर्द का हद से गुज़रना … [Continue Reading...]
हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले राजेन्द्र यादव 16/12/2011 मिर्ज़ा ग़ालिब No Comments हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले बहुत निकले मेरे अरमाँ, लेकिन फिर भी कम निकले डरे क्यों मेरा कातिल क्या रहेगा उसकी गर्दन पर वो खून … [Continue Reading...]