Category: देवमणि पांडेय
हिन्दी इस देश का गौरव है, हिन्दी भविष्य की आशा है हिन्दी हर दिल की धड़कन है, हिन्दी जनता की भाषा है इसको कबीर ने अपनाया मीराबाई ने मान …
हाल अपना किसी से मत कहिए इससे अच्छा है आप चुप रहिए देख कर लोग फेर लें नज़रें सबकी नज़रों में ऐसे मत गिरिए जो भी दिल आपका इजाज़त …
तेरे सपने, तेरे रँग क्या-क्या मौसम मेरे सँग आँखों से सब कुछ कह दे ये तो है उसका ही ढँग लमहे में सदियाँ जी लें हम तो ठहरे यार …
खिलते हैं दिलों में फूल सनम सावन के सुहाने मौसम में होती है सभी से भूल सनम सावन के सुहाने मौसम में । यह चाँद पुराना आशिक़ है दिखता …
सावन आया धूल उड़ाता रिमझिम की सौग़ात कहाँ ये धरती अब तक प्यासी है पहले सी बरसात कहाँ। मौसम ने अगवानी की तो मुस्काए कुछ फूल मगर मन में …
सबसे दिल का हाल न कहना लोग तो कुछ भी कहतें हैं जो कुछ गुज़रे ख़ुद पर सहना लोग तो कुछ भी कहतें हैं हो सकता है इससे दिल …
सड़क से सागर तक तनहाई में लिपटा हुआ शहर तीखे शोरग़ुल में डूबता उतराता है भीड़ में रोज़ छिल जाते हैं तन मन राह चलते अनायास निगाहें टकराती हैं …
लड़कियाँ अब और इंतज़ार नहीं करेंगी वे घर से निकल जाएँगी बेख़ौफ़ सड़कों पर दौड़ेंगी उछलेंगी, कूदेंगी, खेलेंगी, उड़ेंगी और मैदानों में गूँजेंगी उनकी आवाजें उनकी खिलखिलाहटें चूल्हा फूँकते, …
ये चाह कब है मुझे सब का सब जहान मिले मुझे तो मेरी ज़मीं मेरा आसमान मिले कमी नहीं है सजावट की इन मकानों में सुकून भी तो कभी …
छ्म छम छम दहलीज़ पे आई मौसम की पहली बारिश गूंज उठी जैसे शहनाई मौसम की पहली बारिश जब तेरा आंचल लहराया सारी दुनिया चहक उठी बूंदों की सरगोशी …
सजनी आंख मिचौली खेले बांध दुपट्टा झीना महीना सावन का कर गया मुश्किल जीना महीना सावन का मौसम ने ली है अंगड़ाई चुनरी उड़ि उड़ि जाए बैरी बदरा गरजे …
बीते लम्हे मुझे आए याद बारिशों की वो रंगीन बूंदें ख़्वाब में खोई मीठी-सी नींदें दूर तक जुगनुओं की बरातें रातरानी से महकी वो रातें बीते लम्हे मुझे आए …
बसेरा हर तरफ़ है तीरगी का कहीं दिखता नहीं चेहरा ख़ुशी का। अभी तक ये भरम टूटा नहीं है समंदर साथ देगा तिश्नगी का। किसी का साथ छूटा तो …
बरसे बदरिया सावन की रुत है सखी मनभावन की बालों में सज गया फूलों का गजरा नैनों से झाँक रहा प्रीत-भरा कजरा राह तकूँ मैं पिया आवन की बरसे …
बच्चों से बहुत दूर हैं मिठाई, बिस्किट और खिलौने पर कभी-कभी वे ज़िद पर उतर आते हैं और खाते हैं झुँझलाए हुए हाथों की मार गली में दूर तक …
पलकों पलकों हर चेहरे पर ठहरा रहता जाने कौन दिल में प्यार का दरिया बनकर बहता रहता जाने कौन दुनिया है इक भूल भुलैया लोग यहाँ खो जाते हैं …
ना हँसते हैं ना रोते हैं ऐसे भी इंसा भी होते हैं। वक़्त बुरा दिन दिखलाए तो अपने भी दुश्मन होते हैं। दुख में रातें कितनी तन्हा दिन कितने …
दिल तो दिल है दिल की बातें समझ सको तो बेहतर है दुनिया की इस भीड़ में ख़ुद को अलग रखो तो बेहतर है मोड़ हज़ारों मिलेगें तुमको , …
दिल के ज़ख़्मों को क्या सीना दर्द नहीं तो फिर क्या जीना प्यार नहीं तो बेमानी हैं काबा , काशी और मदीना। महलों वालों क्या समझेंगे क्या मेहनत,क्या धूल …
डूब चुके कितने अफ़साने इन आँखों के पानी में नाम तलक न आया मेरा फिर भी किसी कहानी में जीवन ऐसे गुज़र रहा है साए में दुख दर्दों के …
तेरी चाहत , तेरी यादें , तेरी ख़ुशबू लाए हैं । बरसों बाद हमारी छत पर झूम के बादल छाए हैं । सावन का संदेस मिला जब महक …
जो इंसाँ बदनाम बहुत है यारो उसका नाम बहुत है। दिल की दुनिया महकाने को एक तुम्हारा नाम बहुत है। लिखने को इक गीत नया-सा इक प्यारी सी शाम …
जब तक रतजगा नहीं चलता इश्क क्या है पता नहीं चलता। ख्वाब की रहगुज़र पे आ जाओ प्यार में फासला नहीं चलता। उस तरफ चल के तुम कभी देखो …
जग में जो बदनाम बहुत है यारों उसका नाम बहुत है छोड़ दिया है साथ सभी ने लेकिन अब आराम बहुत है दिल की प्यास बुझानी हो तो आँखों …
छ्म छ्म करती गाती शाम चांद से मिलने निकली शाम। उड़ती फिरती है फूलों में रंग-बिरंगी तितली शाम। आँखों में सौ रंग भरे आज की निखरी-निखरी शाम। यादों के …