अजनबी विनय कुमार 30/03/2012 दीप्ति नवल No Comments अजनबी रास्तों पर पैदल चलें कुछ न कहें अपनी-अपनी तन्हाइयाँ लिए सवालों के दायरों से निकलकर रिवाज़ों की सरहदों के परे हम यूँ ही साथ चलते रहें कुछ न … [Continue Reading...]
तीन कवितायें विनय कुमार 30/03/2012 दीप्ति नवल No Comments 1. मैंने देखा है दूर कहीं पर्बतों के पेड़ों पर शाम जब चुपके से बसेरा कर ले और बकिरयों का झुंड लिए कोई चरवाहा कच्ची-कच्ची पगडंडियों से होकर पहाड़ … [Continue Reading...]