प्यार की सीमा रेखा तय करनी होगी कितनी गहराई तक डुबोना है ख़ुद को कहाँ से वापस आ जाना होगा लौटकर किनारों पर ।
तुम्हारा आना, आकर मेरी ज़िन्दगी के केनवास पर खिंची आड़ी-तिरछी लकीरों को जोड़ना सलीके से, भरना उनमें रंग जिससे बनी भी ख़ूबसूरत-सी तस्वीर, तस्वीर जिसकी शक्ल बिल्कुल मेरी-सी है …
टूटे हुए सपने से खुली, आज सुबह फिर आँख सपना, आज फिर चुभता रहा, दिन-भर ।
अपने ख़्वाबों को सजाकर दुनिया की हाट में जिस दिन सीख जाऊँगी बोली लगवाना उसी दिन से मिल जाए शायद मुझे निजात पर तब कहाँ बचेगा मेरा घर ? मैं …