Category: भारती दास
जाने किस दर्द-दंश से रोष दिखाता है समीर अंग-अंग को कम्पित करता तन में पहुंचाता है पीर.चौंक कर गिरते पीले पल्लव कलियों को देता झकझोर नीड़ के अन्दर उधम …
नूतन वर्ष का हो गया आरम्भ सब कुछ लगता है नया-नयाफिजा में ऐसी शोर उठी किवातावरण बदल सा गया.गोरख धंधे में उलझे लोग खुद को असमर्थ सा पाया महामानव …
इलाहाबाद में जन्म हुआ था थे कश्मीरी ब्राम्हण परिवार पिता मोतीलाल थे उनके स्वरुप रानी से मिला संस्कार.समय की गति के साथ-साथबने यशस्वी और गुणवान स्वाधीनता संग्राम के योद्धा …
हे शरद सुंदरी अभिनन्दन है तेरे सुन्दर अरुण चरण पर मृदुल कुसुम करता वंदन है. शरद सुंदरी अभिनन्दन है…. बीत गयी पावस की रातें सजल सघन घन की बरसातें …
आश्विन मास के कृष्ण-पक्ष में आरम्भ महालय का होता है पितरों को नमन करने का अनुपम अवसर ये होता है. जिनकी कृपा से तन-मन मिलता कृतज्ञ ये सारा जीवन …
हिंदी में लिखना और पढना आज की पीढ़ी भूल गयी अवमूल्यन करके भाषा को आगे बढ़ना सीख गयी. अंग्रेजी की असर है छायी वही इनकी विवशतायें है भाव भरे …
कोई बताये कहाँ से लाये वो गुजरा प्यारा समाज धर्म ग्रन्थ का बोझ था पर शास्त्रों का था पूरा राज. जीवन मात्र नहीं है हलचल दुःख सुख भ्रम भय …
उष्ण-आद्र का सुखद मिलन है शांत हुई बूंदों से तपन है आकाश में बादल छाये हैं धरती की प्यास बुझाये हैं समस्त सृष्टि के पालनकर्ता अर्जुन के प्राण से …
दीपक से ज्योति जो बिखरती सौन्दर्य भरी होती अभिव्यक्ति अस्तित्व का द्योतक बन जाती गौरव-गरिमा को दर्शाती समवेत दीया का प्रकाशपूंज सद्भावों का बन जाता गूंज अंधकार की परतें …
अति लघु रूप सा क्षण है अपना कैसे करेंगे पूरा सपना दुर्लभ पल बीतता ही जाता युग करवट लेता ही जाता समय कभी समान ना होता पूरे सब अरमान …
दिल ने सोचा है कि इक बार मुलाकत होगी आपको फिर से नहीं कोई आघात होगी याद है मुझको हर वो पल,हुए थे दूर जब से हम आपकी याद …
आसमान में लाखों सितारे कैसे ढूंढें पिता हमारे ….. कभी नहीं दिखती है सूरत कहीं नहीं मिलती है मूरत रवि शशि उड़गण को निहारें कैसे ढूंढें पिता हमारे ….. …
हे योगी तेरी किन भावों को मानूँ हर रूपों में तुम ही समाये, उन रूपों को पहचानूँ ,हे योगी ….. लघुता-जड़ता पशुता-हन्ता सब कर्मों के तुम ही नियंता उन …
व्यास नदी ने ले-ली जान माँऐं हो गयी निःसंतान ह्रदय विदारक देख के मंजर रो रहा मन तड़प-तड़पकर विधाता ने की ऐसी परिहास मिटा दर्प और मिट गयी आस …
सृष्टि को रचती है नारी , गरिमा-मय गौरब सी नारी. करुणा-दया-ममता की मूरत, सुन्दरता की प्यारी सूरत. सद्विचार सदभाव से संपन्न, दोष –दुर्गुण का करे उन्मूलन . पत्नी -भगिनी-जननी …
नव वर्ष का नया सवेरा नव किरण से मिटा अँधेरा उल्लास भरा ही शेष समय हो नव वर्ष मंगल मय हो | दुखद भरी यादों से दूर हम होंगे …
वृक्ष के ह्रदय का ,आनंद होता पुष्प उल्लास अभिव्यक्ति का, आवाज होता पुष्प पवित्र भावनाओं का, प्रतीक होता पुष्प सुकोमल संवेदना का, चित्र होता पुष्प कहता है सुमन, हे …
अभी अचानक नहीं है निकला, मानव हिरदय को जिसने कुचला, विविध रूपधर भर धरती में, अवलोक रहा है वारम्बार, फ़ैल रहा है भ्रष्टाचार | ज्ञान नहीं है,तर्क नहीं है, …
न हों चैन न कभी आराम नही लेते पढने से विराम एक ही ध्यान हर –पल रहता है उसी का नाम परीक्षा पढने के पीछे सब पड़ते पढो –पढो …
राखी का त्योहार मनोहर अंतर्मन को भाए छूकर हर पीड़ा हर कष्ट से ऊपर पर्व मनाये मन से भरकर सावन का सुन्दर ये पूनम भाई-बहन का पावन पूजन चिर …
अस्थियों के बीच देवभूमि अस्थियों से हैं घिरे केदार देव भूमि में हाहा-कार प्रकृति का यूँ कहर है बरपा असंख्य मौत में लोग है तड़पा हंसी-खुशी जो निकले …
सावित्री– सत्यवान की, है ये कथा पुरानी सदियों से बस सुनती आयी ,अनमिट प्रेम कहानी मद्र–देश के राजा अश्वपति थे, क्षमाशील संतान रहित थे प्रभास–क्षेत्र में भ्रमण को आये …
एहसास मुझको है अनेकों ,अनगिनत अनुभूतियाँ है अनोखी पुलक भरी , ह्रदय में स्मृतियाँ स्नेहिल स्मरण से भरे हैं ,ये मेरे मन और प्राण हे माँ तुम्ही से है …
आतंक एक प्रवृति का नाम,जो जम गया देशों में तमाम है न इसकी कोई जाति ,है न इसका कोई ईमान आतंकबाद हुआ है तबसे ,महाभारत का दौर था जबसे …
दिल्ली की पहचान पुरानी गौरवमय है कथा –सुहानी. एक से बढ़कर कई किस्से है ,हर युग में है इसकी कहानी . अब दिल्ली बन गया है दाग,दहसत की लग …