Category: आस्था नवल
देखे थे कुछ सपने माँ के घर में अपने सपनों में थी नदियाँ सपनों में थी कविता जैसे ही छूटा माँ का घर न जाने कहाँ खो गए …
मेरे घर रोज़ आती है एक नन्ही सी चिड़िया दाना चुगती है, थोड़ा वरांडे में मटकती है किसी की आहट सुन फुर्र से उड़ जाती है। कई बार …
मोर की आवाज़ सुनाई देने लगी है कोयल भी धीरे धीरे बौर आए आम के वृक्ष पर आने लगी है शहतूत का पेड़ पहले जैसा फिर से नए पत्तों …
बरसते पानी को देख हुई हर्षित मैं मन में उठीं सागर की सी हिलोरें चाह उठी वृक्षों के साथ झूमने की वर्षा की बूंदों को छूने के लिए जैसे …