Category: आशमा कौल
आँसू दर्द की मौन भाषा कहते हैं वे हमेशा गर्व से पलकों किनारे रहते हैं क्षणभंगुर-सी अपनी ज़िंदगी में जाने इतना दर्द कैसे सहते हैं आँसू दर्द…. मन के …
मौन रह कर यह शीशा ही बता सकता है कि उम्र कैसे ढलती है मौन रह कर सिर्फ़ पगडंडी ही बता सकती है कि कारवाँ कैसे गुज़रते हैं मौन …
मैं जड़ बनना चाहती हूँ जड़ की तरह धैर्यवान उसी की तरह अपनी ज़मीन नहीं छोड़ना चाहती हूँ चाहती हूँ मेरी ज़मीन पर आशाओं के नए फूल खिलें प्यार …
आसमान जब मुझे अपनी बाँहों में लेता है और ज़मीन अपनी पनाहों में लेती है मैं उन दोनों के मिलन की कहानी लिख जाती हूँ, श्वास से क्षितिज बन …
स्वप्नों के बादल जब उड़ते हुए यथार्थ की धरा पर बरसते हैं यादों के अनगिनत मोती तब समय के धागे से निकलकर बिखरते हैं । महसूस होता है उस …