Category: अर्चना तिवारी
‘माँ तेरे पावन रज कण को समर्पित.. ……………………….. भले तू नहीं माँ ,ये तेरी कहानी, वो सोने के रंग की ,तु परियों की रानी| वो ममता के आँचल का, …
काहे को श्रृंगार करुँ पिय काहे को श्रृंगार करुँ कंगना बदलू मन न लागे चूड़ी को क्यों हाथ धरु काहे को श्रृंगार करुँ पिय काहे को श्रृंगार करुँ झुमका …
एक एहसास कि तुम हो दिल के पास ज़िन्दगी बसर करने के लिए काफ़ी है एक एहसास कि मेरी एक आवाज़ पर तुम दौड़े चले आओगे तनहा मंजिल तक …
तुम जो मेरी आँखों में एक बार झाँक लेते शायद दिल की बात मैं तुम को बतला पाती तुम जो आशाओं का समंदर एक बार नाप लेते शब्दों की …
क्या कहुं जुदाई का दर्द सहा नही जाता तेरे बिना अब तो तनहा रहा नही जाता ऐसा लगता है की कोई बदन में सैंकड़ो सुइयां चुभोता है आह भी …
क्या बताऐ क्या होता है तुम्हे देख के नींद उड़ती है चैन खोता है तुम्हे देख के तुम्हारी आँखों का जादू हमको मदहोश करता है धड़कन चलती है पर …
मेरे ख्वाबो में रोज़ आता है कोई सपनो की दुनिया सजाता है कोई जिसे देख कर के झुक जाती है आँखें नयनो के पास हमेशा पर आता है कोई …
आज कई दिनों बाद फिर पढ़े हमने तुम्हारे पत्र सागर से गहरे भाव में कैसे नही डूबे कोई पीपल सी घनी छाव में कैसे नही बैठे कोई सोचा था …
मीरा बन कर पूजा तुमको राधा बन कर प्रेम किया ज़हर का प्याला भी पी कर प्रियतम कहाँ हमको अपनी शरण लिया सीता बन कर वनवास भी काटा सती …
हम मोती है धागा हिंदी हम सोना है सुहागा हिंदी हिंदी जान गण की आशा है हिंदी भारत की भाषा है हिंदी ही प्राण हिंदी ही प्रीत हिंदी के …
जब से पहली बरसात बरसी तुम से मिलने को मै हर बार तरसी याद तुम्ही आये इस दिल को और सपनो की बौछार बरसी जब से पहली बरसात बरसी …
हर बार तो वर्षा आने पर खुश होते थे सारे किसान हर बार तो बादल छाने पर मोर ये नाचा करते थे हर बार पानी की बूंदो में मेंढक …