Category: अंकिता आशू
ठहरजाता है वक़्त,थम जाता है वक़्त, वक़्त की मिज़ाज़ क्या? हार जाते है सब। ज़रा देखो, जरा सोचो! निर्जिव जो,भागे तेज़जरा सोचो, जरा देखो!खुली किताब, पढी पेज।यह ज़िंदगी की …
आज पूरी चाँद की रात है। …ए चाँद! कुछ तो तुझमे ख़ास बात है.चाँद एक तू ही हैजो न धर्म जानता है और न जाति। ..चाहे हो ईद , …
लब्ज़ों का खेल तो देखो ….. ना कोई साथी व ना ही है कोई हमसफ़र हुआ ना था कभी मैं तन्हा इस कदर …. आज मेरे ही लब्ज़ इस …
“”दिल के अरमानों ने कर ली है खुदखुशी शायद बरसात की बूँदों ने जी भर है रो ली शायद। गुनाहों की टहनियों पे लटका हुआ हूँ ऐसा लगता है …
रुत भी बदलती है.. हवा की रुख़ भी बदलती है… कुछ यूँ ही तह -ब -तह अतीत के कोरे पन्ने बरसों बाद आज पलटा मैंने। .. जो राह …
ख़ामोशी की हर वो तार तोड़ दो जो तुम्हारे इच्छाओ के विरूद्ध जाता हो। सुकून के उस घनघोर बादल को अपने जीवन की राह में मोड़ लो जो तुम्हें …
“कड़वा सच” इक समय था जब लोग अपना हुनर पहले और गुरुर बाद में दिखाया करते थे और इक आज का समय है लोग हुनर बाद में और अपना …
ए ज़िन्दगी! जब तक तूने बहाया अपने बहाव में मैं यूँ ही बिन कुछ कहे बहता रहा…!!! जब तक तूने मुझे अपने शरारतों से सताया मैं यूँ ही बिन …
इस कीमती आत्म निर्भर मुस्कान को पाने के लिए ना जाने कितने त्याग करने पड़े …..!!! ना जाने कितने अरमानों को दिल में दफनाना पड़ा ..!!! ना जाने कितने …
उसके हुस्न की अदा ही कुछ ऐसी थी जो हमेशा दीवाना बनाया करती थी…..!! उसके गुनगुनाने की अदा कुछ ऐसी थी… बिन पिए जाम मन की महफ़िल मदहोश हो …
निगाहें भी अकसर फ़रेबी बन जाया करतीं हैं …… हकीकत कुछ और होता है बयां कुछ और करतीं हैं… छुपातीं हैं अपने अश्कों को और लबों पर दिखावटी मुस्कुराहट …
कभी तड़पाती है ये ज़िन्दगी… कभी हंसाती भी है ये ज़िन्दगी …..!! मन के अंधेरों से लेकर मन के उजालों तक हर कदम नयी राह भी दिखाती है ये …
माँ आज तेरी गोद की याद बहुत आ रही है.. तेरी कमी आज मुझे बहुत सता रही है …..!!!! दूर हूँ तुझसे मैं इतना की चाह के भी पास …
उम्मीद का चिराग लेकर मनचला दिल आज अपने लिए सुकून को ढूंढने निकला था… परेशानियों की आंधी ने उस चिराग को बुझाना चाहा था..!!! कठिनाइयां गुलमोहर की फूलों की …
अये वक़्त ! इक अर्ज़ी है तुझसे कभी तो बता दे अपनी मर्ज़ी मुझसे …..!!!! तू कब खुशियों की बरसात देने वाला है और कब गम में तू मुझे …
यूँ ही ज़िन्दगी के सफर में तन्हाइयों के साथ गश्त लगा रहा था तभी रु-ब-रु हुआ इस दुनिया की हकीकत से. ….. कुछ लोग आज भी बेपरवाह है अंजान …
आपदोनों का ”त्याग” इक अनमोल बीज है जिससे उपजा हमारे जीवन का मजबूत दरख़्त(वृक्ष) है…. आपकी मेहनत से बहाया खून-पसीना ही हमारे जीवन के दरख़्त का आहार है…..!! आपके …
तज़ुर्बे और परख़ की कमी के कारण कुछ लोग अपने ज़िन्दगी में पलने वाले इंसानी रुपी अजग़र को पहचान नहीं पाते….. वरना कुछ लोग तो सात फ़ीट की दुरी …
एक दास्ताँ मेरी कलम ने लिखी…. कभी थोड़ी रुकी कभी स्याही थोड़ी फीकी पड़ी …. गुज़ारी रात मैंने चौदहवीं रात के चाँद तले….. सितारे भी मदमस्त थे अपने आशियानों …
जिसे तहे दिल से हम अपना समझते थे जबसे उसने मुझे अजनबी का दर्जा क्या दिया समझो तबसे ज़िन्दगी ने दूसरों पर से भी भरोसा ही उठा दिया….!!! जहाँ …
सफर में हमसफ़र की तलाश न कर ….. सोचो क्या होगा बीच राह में हमसफ़र ने साथ छोड़ दिया अगर ….. कुछ न बचेगा समय की बर्बादी और अफ़सोस …
सिसकती रात से चाँद ने पूछा हुआ क्या आज तुझे जो रोना पड़ा ….. बेवजह इन नादान आंशुओ से आज की खूबसूरती को खोना पड़ा …. सितारे भी उदास …
क्यों रोते हो हमेशा शोहरत-रुपये-पैसे के लिए क्यों ना खुश रहते हो जितना मिलता है उसमें .. कभी मिलो उनसे जिनकी शारीरिक संरचना ही अधूरी रह गयी…. तो अहमियत …
हारा नहीं…डरा नहीं , अटल रहा अडिग रहा …. मौत थी सामने खड़ी ,फिर भी न चेहरे पर सिकन उगा …. क्रांतिकारी वीर था …दुश्मनों के लिए वो धारदार …
भरी दोपहर में सिरहाने बिस्तर पर टेक लगाय था मीठी निंदिया आँखों में दस्तक दे ही रही थी… सपने भी आँखों में अंगड़ाइयाँ ले रहीं थी….. तभी चिलमिलाती धूप …