Category: विश्व दीपक
जिस्म की जुदाई जान से
अब जाना है मुझेको, तुम आखें भिगोये बैठी हो, तान्हायों में, खुद को समाये बैठी हो, क्यों आई दूर इतने, की आज बाहें समेटे बैठी हो, चल उठ, कर …
हिंदुस्तान का मोदी
कण कण में मोदी, क्षण क्षण में मोदी, जन जन में मोदी, हर मन में मोदी । छल छल में मोदी, पल पल में मोदी, कल कल में मोदी, …
माँ की ममता
रोती हंसती सबकुछ करती, दुःख कभी ना अपना बतलाती वो। रात रात जगती खुद, हमें सिरहाने सुलाती वो ।१। खुद पी पी कर पानी, निवाला हमें खिलाती वो, …
सफर पिता पुत्र का
पकड़ के मेरी छोटी उंगलीयों को, पहला कदम आसान बनाया, हर एक मुश्किल कदम पे पिताजी, मैंने आपको अपने साथ ही पाया।१। कितना सुन्दर था वो बचपन, जब गोद …
कहा गये बचपन के दिन
कहा गये वो बचपन के दिन, जब हमारे भी पानी की जहाज चला करती थी, कागज की बनाई आकृतियाँ भी, आसमान में उडान भरा करती थी ॥१॥ रंग …
गरीबी
माँ की बहती आँखों को निचोड़ कर आया हूँ, पिता के दिली जज्बातों को झिंजोड़ कर आया हूँ, ऐ – गरीबी आज सिर्फ और सिर्फ तेरे खातिर, मै …
अब वो शाम नहीं आती
दोस्तों से मिलती, दिनचर्या की गीत सुनती, चाय की चुस्कीयों के साथ, अब वो शाम नहीं आती ॥१॥ दोस्तों में जोश बढाती, आशाओं के नये किरण जगती, हिम्मत …
कुछ यादें कभी नहीं जाती
वो स्पेंसर और सिटी सेण्टर की शाम, सत्यम और इनोक्स में भीड़ की लम्बी आलम, कैंप रोड की जगमगाती और भागती रफ़्तार, वो पानी टंकी के मैदान में …
बेरोजगारी से अच्छी मौत
छुप छुप रोता कभी ना कहता, मन के राग ज़माने को । हितकारी है माना मशीहा, पल में राह दिखने को । नित दिन जागे राह निहारे, सुमिरत …
क्या गुनाह था
जन्म हुई एक लक्ष्मी की, पलना छोड कचरे में डाल दिया। एक बेब्श बच्ची थी वो, क्या यही गुनाह उसने किया।१। ईश्वर ने भेजा धरती पर, माँ का …
मुस्काना पड़ता है
कही पहुँचने के लिए कोई जगह छोड़ना पड़ता है, कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है, हंसने के लिए पहले रोना पड़ता है, जागने से पहले सोना पड़ता …
जिन्दगी है जीभर के जिओ
छोटी सी है जिन्दगी हस के जियो, भुला के गम सारे दिल से जियो। उदासी में क्या रखा है, मुस्कुरा के जियो, खुद के लिए न सही खुदा के …
देखा है
कुछ नाजुक हथेलियों को आज हाथ छुडाते देखा है, उन नन्हें कोमल हथेलियों पे छालो का एक गुलदस्ता देखा है। दर दर ठोकर खा कर चुपके से कोने में …