लोकतंत्र के तानाशाह विमल सोलंकी 13/07/2016 विमल सोलंकी 6 Comments मैं व्याकुल हूं, मैं क्रोधित हूृं, जन जन की पीड़ा गाता हूं। वो तानाशाह बनकर बैठे, मैं लिखकर मन बहलाता हूं । जो माताऐं सीमाओं पर लाल सलोने खोती … [Continue Reading...]