Category: विकास कुमार
इस कदर तेरी करतूतो का सताया है दिल अब तो आलम ये है कि कलम उठाता हूँ अपने दिल के जज्बात लिखने के लिए ये फिर तेरी बेवफाई के …
मेरी याद में तूं मेरी भूल में तूं मेरे सूक्ष्म में तूं मेरे स्थूल में तूं मैं मंजूर हूँ तुझे मुझे कबूल है तूं मैं तोड़ ना पाऊ वो …
आज सरहद पर एक लाश मिली है कहते है बेगैरत ने उस पार की लड़की से मोहब्बत की है इश्क़ ने किया कसूर सजा इस आशिक़ को दी है …
जय जय हिन्द की नारी खिले जाये जिंदगी तिरंगे सी तुम्हारी, समस्याए मिट जाये सारी तुम्हारी देवकी सी महतारी , पन्ना सी ममता की फुलवारी झुका दे कायनात सारी …
जब छोटी थी मैं बाबा तेरे घर की आरजू आन थी खिलते गुलाब की सानी तेरी बगिया की शान थी मेरी हर खता तुझे परेशान करती थी मेरी बढ़ती …
घटती निगाहो ने मुझे परेशान कर दिया उन अंधेरो को उजाले से रोशन जो करना था करना जरूरी था क्योंकि उनके विश्वास पे खरा जो उतरना था तोड़ न …
सब से जुदा थी वो अपनों की दुनिया थी , पहले जिनसे रोज मुलाकात होती थी , अब उनसे बस कभी कभी बात होती है , पहले माँ की …
अतीत के गलियारों में झांकती नजरो में उजाला सा है मैं तो सफेदी देख रहा था पर इसका रंग तो काला सा है मेरे चेहरे की जुबानी मेरा अतीत …
दूरिया दिलो को पास लाती है अपनों की कीमत का अहसास दिलाती है दिल को और जोर से धड़कना सिखाती है किसी को तुम्हारी चिंता है ये बताती है …
मुझे तेरी बहुत याद आती है माँ तेरी याद तुझसे दूर होने का दर्द दे जाती है माँ तेरे पास था तो तेरे आँचल में सो जाता था माँ …
इस दिल को कितने जख्म तूने दिए हिसाब लगा नहीं सकते , तेरी इज्जत की परवाह है ये जख्म किसी को दिखा भी नहीं सकते , रिश्ता रुमानियत का …
रात घनी थी ,अँधेरे में घुली सी थी कांता बेचारी घर से चली थी काम जरूरी था टालने में मुस्किल बड़ी थी जाने कहा से कमबख्त हवस के शिकारी …
जरुरत है ज़माने की तस्वीर बदलने की अब बारी है नारी के दुर्गा बनने की , कब तक दांव पर लगेगी पांचाल की राजकुमारी कब तक अग्नि परीक्षा देगी …
सिहर उठता हु आज भी तुम्हारे अहसास से , गुजरता हु जब भी तुम्हारे आसपास से वफ़ा की उम्मीद तो हमे खुद से नहीं थी , क्यों बेवफाई का …
तुम्हारी नजरो के वार से हम तो न बच पाये , वो दर्द तो अब भी हमको सताए , मसरूफियत उलफ़त की इजाजत नहीं देती है , धड़कन समय …
जब से तूने मेरी जिंदगी से किनारा कर लिया है , तेरी याद में मेरी आँखों ने रोना सीख लिया है | धड़कन आज भी तुम्हारा नाम पुकारती है …
भारत रो इक हिस्सों प्यारो , नाच अठे रो घूमर प्यारो , पश्चिम दिशा रे माय पधारो , रंग बिरंगी धरती ऊपर रेत बेकला साजे है , चहक उठे …
ये सीढ़ीया कहाँ जाती है ; जाने कोनसी दिशा में ये सीढ़ीया जाती है ; जहाँ भी जाती है मुझे अपने साथ ले जाती है ; मुझे वर्तमान से …
मासूम सी एक लङकी थी उम्र थी बाइस , काम के बोझ से उम्र लगती थी अठाइस । वो हसंती थी दुनिया को दिखाने के लिये , उसकी आॅंखे …
एक साथ ही चले थे हम मजिंल की ओर, वो रास्ते के एक ओर थे और हम दुसरी ओर । कभी वो हमसे आगे निकल जाते थे , तो …
आज बहुत खुश थी कान्ता रानी ; उसकी बिटिया रेखा हो गयी सयानी । कर दी शुरु रिश्ते की तलाश ; एक अच्छा रिश्ता आया उनके पास । जांच …
स्याही की जगह खून उगला उनकी कलमो ने , पाप का ऐसा मजंर दिखा गये , वो पापी थे पाप की आँधी चला गये । मासूम से बच्चो की …
परिवर्तन की बयार कहते सब है करने को कोई तैयार नही , बाते करना परिवर्तन का कोई हथियार नही । बदलाव के लिये ए जमाने तुझे उठना होगा , …
कातां और मोहन थे दो दपंती , कुछ ज्यादा नही थी उनकी सपंती । एक था बेटा बङा दुलारा , जिसके खातिर अपनी हर इच्छा को मारा । मोहन …
चलते-चलते अचानक मन मे विचार आता है , क्यों लोगो का ये कारवां मुझसे आगे निकल जाता है । मैं देखता हुँ उस कारवें को वो मुझसे नजरे चुराता …