Category: विजय यादव
हम वो आशिक हैं जो अहसान नहीं लेते हैं, प्यार में बेवफ़ाई का इल्ज़ाम नहीं लेते हैं, रगों में दौड़ता है इश्क़ बनके इक रवानी सी, अपने महबूब के …
इस कदर तो बदनाम न कर हमें, दोस्त ही रखले अब बना कर हमें, तेरी महफ़िल में आयें हैं रुशवा ना कर, एक एहसान कर दे के शिकवा ना …
हमको वफ़ाए इश्क ने ऐसा दीवाना कर दिया, किस्सा मेरा छोटा सा था इसको फ़साना कर दिया। नामों निशाँ गुमनाम, मैं था जहां से बेखबर, इस इश्क ने अब …
मुझे तेरी हकीकत का पता है, ज़माने मुझसे छिपाता क्या है, मुझे तेरी हकीकत का पता है। कियें हैं ज़ुल्म तूने ओट में कितने नकाबों के, शरीफ़ी के नकाबों …
उठ देख युहीं क्यों मरता है, फिर देख खुदा क्या करता है, जीवन कण कण संघर्ष भरा, क्यूँ बाधाओं से डरता है। जीवन क्यों इतना भारी है, तू जाग …
अपने अल्फ़ाज़ों में मोहब्बत बयाँ करता हूँ, कलम से अपनी मैं सोहबत बयाँ करता हूँ, मुद्दत हुई, लम्हे जो तेरे साथ कटे थे, लिख लिख के कागज़ों पे मैं …
ग़र सच्ची है मोहब्बत मेरी, उसे एहसास तो होगा, मोहब्बत का ये मारा दिल, इक उसके पास तो होगा, तसव्वुर में वो जिसके खो के थोड़ा चैन पाते हों, …
पता बदला है हमने, अपने रहने का मेरे यारों, के अब घर छोड़ के अपना, हम उनके दिल में रहते हैं, कोई चिठ्ठी, कोई खत गर मेरा आये तो …
भारत माँ के वीर सपूतों, नमन मेरा स्वीकार हो, जयकार हो, जयकार हो-२ जब घर की चार दिवारी में हम गीत सुहाने गाते हैं, तब लाज़ बचाने झंडे की, …
ये कविता उन लोगो को समर्पित है जो बिना बात के कथित आंदोलनों में हुई हिंसा के शिकार हो जाते हैं…. रेत का आँचल ओढ़ आयी है, ज़िन्दगी कैसा …
इन साँसो की बेचैनी से, इन आँखों की बेचैनी से, समझो ना दिल का हाल ज़रा, ये कैसा माया जाल ज़रा। जब से तुमको है निकट पाया, ईक सिहरन …
“मेरे होने, न होने का, कोई मतलब नहीं होता, अगर तुम ही नहीं होते, तो फिर मैं भी नहीं होता, मेरे होने, न होने का, कोई मतलब नहीं होता।” …
“एक पल और जी लें तेरी आँखों में, ये पलके मत झुकाना एक पल और पीले तेरी आँखों से, ये पलके मत झुकाना।” “ये एक एक पल करके कुछ …
ना तेरी है न मेरी है, ये लड़ाई सबकी है, भीड़ में जो खो गई थी, ये लड़ाई सबकी है। पर्वतों को देख कर तू क्यों है पीछे को …
तूने ऐसे छुआ मैं फ़ना हो गई, गुमशुदा हो गई – गुमशुदा हो गई। तुमने आँखे मिलाकर ये क्या कर दिया, तुमने कुछ कह दिया , हमने कुछ सुन …
करके बदनाम हमें नाम दिए जाते हैं-२ ऐसा था वैसा था तमाम कहे जाते हैं, करके बदनाम हमें नाम दिए जाते हैं……. बड़ी सिद्दत से तेरी चाह राखी थी …
एक सच्चे आम आदमी की कहानी है ये.. अगर आप एक सच्चे आम आदमी हैं तो इसे जरूर पढ़ेंगे …..इसका शीर्षक है “बस हम सही हैं…… सब गलत है..” …
आंखो के पीछे से, पलकों के नीचे से , सपने ही सपने में, अपने ही अपने में हौले से मुझको पुकारा किसी ने ये मेरा भरम है या सच …
मंचला ये मन चला न जाने कैसी खोज में , ये मन ही मन में डूबता न जाने कैसी सोच में , मंचाला ये मन चला न जाने कैसी …