Category: वैभव दुबे
गले मिलकर मिटा लो फासले ईद आ गई। मोहब्बत के शुरू हों सिलसिले ईद आ गई। नए ख्याल नई ख्वाहिश हसीं ख्वाब आँखों में खुशियों के सुहाने सफर पे …
हृदय छुपी इस प्रेम अग्नि में जलन है कितनी जानूँ मैं। मैं भटक रहा प्यासा इक सावन विरह वेदना जानूँ मैं। पर्वत,घाटी,अम्बर,नदिया जल सब नाम तुम्हारा लेते हैं। अम्बार …
1.गिरे जो साख से पत्ते तो मुरझाने लगे। अपनों से जुदा जीना कुछ ऐसा ही तो है। 2.उसने लुटा दी शौक से अस्मत ऐसा कहते हैं सभी। कभी अपने …
माना की ये दौर बदलते जायेंगे। आप जायेंगे तो कोई और आयेंगे। मगर आपकी कमी इस दिल में हमेशा रहेगी। सच कहते हैं हम आपको इक पल न भूल …
तुम्हें पाना है नामुमकिन फिर भी दिल ये कहे। जिन्दा तो हैं हम लेकिन बेजान बुत बन के रहे। ख्वाहिशें भी बिखर गईं जमीं पे आईने की तरह हाथ …
माना की तुम हो दूर बहुत मुलाक़ात तो फिर भी होती है। तन्हा-तन्हा सी रातों में कुछ बात तो फिर भी होती है। चाँद सितारे और गुलशन बस एक …
आज 26 जून विश्व नशा विरोधी दिवस पर नशा के विरोध में लिखी मेरी कविता। बदलता दौर है बदलो मगर इतना न बदलो तुम। शर्म से नज़रें हों बोझिल …
पी ली है आज मैंने मुझे होश है नहीं। मगर जो होश में हैं वो क्यूँ बेखबर हैं? तमाम कोशिशें भी गर्म शीशे सी पिघली राह में ज़िन्दगी भटकी …
जब मन हो व्याकुल व्याकुल और तन में लगा हो कोई रोग। कैसे,कब,क्यूँ की चिंता में डूबे उदर को न भाये कोई भोग। पद्मासन में बैठ फिर जाओ नेत्र …
सब कहते हमें खाली हम जमाना समेटे हैं। पैमाने क्या बुझाते प्यास हम मयखाना समेटे हैं। न सूरत देख ठुकराओ दिल में हैं प्यार की लहरें। समन्दर भी तो …
जो साँसों के बंधे धागे मोहब्बत हो गई समझो। अनजानी राह मन भागे मोहब्बत हो गई समझो। धड़कनों का तो है काम दिल को लोरी सुनाने का इक आहट …
जवानी की सत्ता में रिश्तों का बड़ा महंगा किराया हो गया। बचपन गोद में खेला है जिसके आज वो शख्स पराया हो गया। संस्कारों की जड़ें भी लोभ ने …
आंसुओं में आँखों के सपने गिर के चकनाचूर हुए। पास नहीं कोई भी ख़ुशी तुम जिस दिन से दूर हुए। महफ़िल सजी है यादों की फिर भी बस तन्हाई …
जिसमें उड़ कर न गगन मिले न जमीं पर ही ठहरे कदम। बिखरे बचपन बारिश बन जिसमें जवानी धुएं के दम। ये कैसी हवा चली है? मर्यादाओं के पर्दे …
मातृ दिवस पर कानपुर दैनिक जागरण में प्रकाशित मेरी कहानी। मेरी परीक्षा का वक़्त नजदीक आ रहा था मैं पूरी तन्मयता से अपने अध्ययन के प्रति समर्पित था पर …
खिलते हुए फूल को बहुत प्यार मिलता है। जो गिर गए जमीं पे उन्हें तिरस्कार मिलता है। बड़ी मतलब परस्त है दुनिया जो जज्बातों से खेलती है। जिसके दर्द …
राजनीति की बेदी पर एक और किसान कुर्बान हुआ। ठुकराया जिसे धरती ने ,बेदर्द बहुत आसमान हुआ। सोचा था अब वक़्त आ गया दुःख सारे मिट जायेंगे मगर गीली …
माँ….कहने को एक छोटा सा शब्द मगर स्वयं में समेटे हुए समस्त ब्रम्हांड। जिसके चरणों में स्वर्ग हृदय मन्दिर और उसमें वास करते तैतींस करोड़ देवता। तनिक अभिमान नहीं …
मैं मजदूर हूँ या मजबूर घृणित दृष्टि घूर रही जैसे अपराध किया हो संसार में आकर। मगर जब मध्यरात्रि में नींद को तिलांजलि देकर यात्रियों को गंतव्य तक पहुँचाता …
आज मेरा जन्म हुआ कुछ आँखों में चमक कुछ आँखों में कसक अपना प्रतिरूप देखकर मातृत्व को अपार हर्ष। किसी ने उठाया मुझे पुनः रख दिया धरा पर शायद …
पहले हँस कर बरसे थे तुम कितने घर जल राख हुए। आज रो रहे तब भी आंसू में सपने भीग कर खाक हुए। वक्त से जब तुम आते थे …
मौसम की करवट के नीचे विवश हुई है सूर्य किरण। मानो जनक करें स्वयम्बर राम आएंगे सिया वरण। वृक्ष की ओट में हृदय छिप गए मिलन हो रहा आँखे …
जिक्र हो किसी का बार बार तो उसे इश्क जानिये। हर आहट करने लगे बेकरार तो उसे इश्क जानिए। तन्हाई जब गुनगुनाने लगे कोई यादों की गजल। खुद से …
बदलता रूप बन जाऊं दया प्रतिरूप बन जाऊं। ठिठुरते जिस्म की खातिर कभी मैं धूप बन जाऊं। अमन बहुरूप बन जाऊं हंसू ,बहरूप बन जाऊं। प्यासे की प्यास बुझ …
जिसमें उड़ कर न गगन मिले न धरती पर ही ठहरे कदम। बिखरे बचपन बारिश बन कर जीवित है जवानी धुएं के दम। ये कैसी हवा चली है? मर्यादाओं …