Category: तेजेन्द्र शर्मा
हम उनके करीब आए, और उनसे कहा भाई साहिब, हिन्दी की दो पुस्तकों का है विमोचन। यदि आप आ सके, और संग औरों को भी ला सके तो हिन्दी …
डरा डरा सा मैं रातों को जाग जाता हूँ नींद आती है मगर सो नहीं मैं पाता हूँ सवाल ये नहीं ये शहर क्यों डराता है सवाल ये है …
नज़र में जो हों, उन नज़ारों को पूजो कहीं चश्मों, नदियों, पहाड़ों को पूजो कभी पूजो गिरजे व मस्जिद शिवालय समाधी व रोज़ा, मज़ारों को पूजो कभी पूजो गर्मी, …
मस्जिदें ख़ामोश हैं, मंदिर सभी चुपचाप हैं कुछ डरे से वो भी हैं, और सहमें सहमें आप हैं वक्त है त्यौहार का, गलियाँ मगर सुनसान हैं धर्म और जाति …
आजकल शेरी ब्लेयर को, अच्छी नींद आती है खूब आराम होता है, क्योंकि; टोनी ब्लेयर के सपनों मे तो सद्दाम होता है। अब उसे सौत का कोई डर नहीं …
ऐसी जगह पे आके बस गया हूं दोस्तो बारिश का जहां कोई भी होता नहीं मौसम पतझड़ हो या सर्दी हो या गर्मी का हो आलम वर्षा की फुहारें …
रास्ते ख़ामोश हैं और मंज़िलें चुपचाप हैं ज़िन्दगी मेरी का मकसद, सच कहूं तो आप हैं आपके आने से पहले चल रही थी ज़िन्दगी वो भला क्या ज़िन्दगी, जिसमें …
जो तुम न मानो मुझे अपना, हक तुम्हारा है यहां जो आ गया इक बार, बस हमारा है कहां कहां के परिन्दे, बसे हैं आ के यहाँ सभी का …
पढ़ने से जो समझ न आए ऐसी बनी किताब हैं लोग इज्ज़त जिससे नहीं झलकती अब ऐसा आदाब हैं लोग दूजे का नुक्सान करे जो ऐसा बने हिसाब हैं …
किया बेआबरू, ये यार मेरा कैसा है लगे यूं फिर भी मुझे जैसे रब के जैसा है नहीं है देखा उसे आज तक कभी यारो वो होगा जैसा भी …
नाक ऊँची थी शहर की मेरे ये अचानक इसे हुआ क्या है? चेहरे पहचान में नहीं आते तुम ही बतलाओ माजरा क्या है? मर्ज़ का कुछ पता नहीं चलता …
नज़र जो तुमने फेर ली, नहीं है कोई गिला मेरी वफ़ाओं का अच्छा दिया है तुमने सिला तुम्हें समझ सकूँ, ये बस में नहीं था मेरे मेरी नज़र का …
घर जिसने किसी ग़ैर का आबाद किया है शिद्दत से आज दिल ने उसे याद किया है जग सोच रहा था कि है वो मेरा तलबगार मैं जानता था …
मेरा पासपोर्ट नीले से लाल हो गया है मेरे व्यक्तित्व का एक हिस्सा जैसे कहीं खो गया है मेरी चमड़ी का रंग आज भी वही है मेरे सीने में …
ये जो तुम मुझको मुहब्बत में सज़ा देते हो मेरी ख़ामोश वफ़ाओं का सिला देते हो मेरे जीने की जो तुम मुझको दुआ देते हो फ़ासले लहरों के साहिल …
मकड़ी बुन रही है जाल! ऊपर से नीचे आता पानी जूठा हुआ नीचे से बकरी के बच्चे का होगा अब बुरा हाल मकड़ी बुन रही है जाल! विनाश के …
बहुत से गीत ख्यालों में सो रहे थे मेरे तुम्हारे आने से जागे हैं, कसमसाए हैं जो नग़मे आजतक मैं गुनगुना न पाया था तुम्हारी बज़्म में ख़ातिर तुम्हारी …
ख़बर वहां के पहाड़ों से रोज़ आती है पड़ोसी गोली से अपनों की जान जाती है वो कैसे लोग हैं, मरने से जो नहीं डरते ज़मीन छोडने से शान …
महान कवि की महान रचना! महान रचना का कुंभीपाक नरक! कुंभीपाक नरक की अदृश्य अग्नि! अदृश्य अग्नि में जलता शैतान! तन कर खड़ा हुआ, देखा आकाश को भृकुटि तान, …
ग़लतियाँ किये जाता हूं मैं हर वक़्त ग़लतियाँ ही ग़लतियाँ कोई सहता है, कोई होता है परेशान फिर भी मुझ पर करता है अहसान क्योंकि मैं बाज़ नहीं आता …
इस देश के नौजवानों ने कर दिया है यह ऐलान देश के लिए लड़ने और जान देने में नहीं है कोई शान विश्वास के काबिल नहीं है इस देश …
मुझसे अपना होने के मांगता है दाम वो, जो कभी मेरा अपना था समझता है कमज़ोरी, दिल की मेरे भावनाओं का मेरी उड़ाता है मज़ाक कहता है सरे आम …
देखा है तुम्हें जब से मुझे चैन न आए तक़दीर बदल जाए जो तू मुझ को बुलाए आंखों में तेरी प्यार की ख़ुशबू का बसेरा मुस्कान तेरी करती है, …
दिल में जब दर्द जगा हो, तो लिखा जाता है, घाव सीने पे लगा हो, तो लिखा जाता है ख़ुशी के दौर में लब गुनगुना ही लेते हैं ग़म-ए-फ़ुरकत …
हवा में आज ये तुमसे जो मुलाकात हई तपते सहरा में जैसे प्यार की बरसात हुई पहली मुस्कान तेरी आज भी है याद मुझे ऐसा दिन निकला जिसकी फिर …