Category: स्वराज प्रसाद
कैसी दुनिया है यह , जहाँ कोई अपना नहीं, ना ही अपनापन होने का एहसास । सिर्फ कांच के कुछ टुकड़े हैं, जिन्हे जोड़ना आसान नहीं, फिर भी इन्ही …
एक उड़ती हुई चिड़या के दिल में कोई एहसास नहीं . मन के लालसाएं हुए भाव नहीं . ईष्र्या के द्वंद नहीं. खवाबो कि ताबीर नहीं . हक़ीक़तों के …
नवप्रभात की मनोहारी बेला पर एक ओस को हसते हुए देखा. चिड़ियों को कलरव करते हुए देखा बसंत में नए उग आये पत्ते को निहारा नदियों को उफनते हुए …
वो आई थी, खुशियों की लड़िया संग लायी थी. मंद-मंद मुस्काई थी, और अपने संग उमंगों की दुनिया लायी थी. मैं भी उसके पलकों के तले सोता था, और …
किस्मत कि रेखाएँ को बदलने कि जिद रही है , पुराने उसूलों को तोड़ने की जिद रही है। डूबती नैया को पार करने की जिद रही है , बादलों …