Category: सुशील मिश्र ‘सुशील’
तमाम उम्र पर्दे का शोर उठता रहा, हुजूर आए भी बेपर्दा और जायेगे भी बेपर्दा । बड़ी महीन है बुनियाद इस लिबास की बाज दफा इक सरसराहट भी मिटा …
हल्की हवाएँ तूफ़ान हो गए, शबनम बदलकर बरसात हो गए, कभी लगते थे खुशगवार दिल को- अब वो और वो पल दोनों ही नागवार हो गए…
मोहब्बत के मसीहा तुम, लिए तलवार चंगेजी ; दिलों की बात करते हो, मगर नीयत है खूँरेजी | अदावत है अगर मुझसे , जरा मैदान में आओ ; दीवाना …
इमली और इश्क़ की तासीर एक है , खटाई जितनी ज्यादा , तलब उतना ज्यादा……….. ——- मेरे इश्क की गहराई तू क्या नापेगा , कदम रखा जोसमंदर में तो …
मत रोना मेरी शहादत पे , मैं तो एक सिपाही हूँ, सँजो के रखना आँखोंके मोती रोहित और अख़लाक़ केलिए | मैं तो हूँ ही सिरफिरा जो जीता हूँ …
नई सुबह , नया सूरज , नया समंदर ,नया आसमान ; ये सदियों पुराने है ,पर फिर भी नए थे – क्योंकि इनके साए में पंख लगाए , दो …
मेरी इज्जत , मेरी शोहरत , मेरी दौलत तिरंगा है | बहे जो देश की खातिर ,लहू हर बूँद गंगा है | मेरा गौरव है तुझसे माँ , तेरा …
कहता है खुद को खलीफा ओ दरिन्दे …… शैतान है तू और, जालिम है तेरे कारिंदे | कहते हो खुद को खुदा का रहनुमाई , करते हो हरकदम बदी …
बैठा हूँ मै सामने , एक जलते हुए दिए के | ह्रदय में उठ रहा है , बस एक ही प्रश्न ? ये दिया है या मैं ही हूँ …
बड़ी खूबसूरत है ये कहानी जब पायी हमने प्रेम निशानी | वो सुबह थी कुछ ख़ास कुछ अलग सा था एहसास , बिल्कुल नहीं थी ये आस इतनी जल्दी …
है आज भी याद वो दिन मुझको , जब पहली बार तुझे देखा | गाल गुलाबी , चंचल चितवन , और अधरों की पतली रेखा || केसर मिली दूध …
झुकी कमर को लाठी का सहारा , जरा सी जरा का है ये नजारा ……….. ऑंखें बोझिल , चेहरा उदास ; सूखे होठ , लरजती आवाज़ | कपकपाते हाथ …
चन्द रोज की बारिश , फिज़ा में सैलाब ले आयी ! हम रोए तमाम उम्र , सावन सूखा बना रहा ! ॥ ए दिल बता तुझे आता क्या है …
तुझे दिल के किसी कोने में छुपाना चाहूँ , तुझे बार – बार देखू और मुस्कराना चाहूँ | तेरी आँखों से पीने की आदत सी हो गयी है, मै …
जाने क्यों इश्क कर बैठा जिंदगी से , वरना सिवा धोखे के इसमें रखा क्या है | जाने क्यों रोया तमाम बचपन इस चाँद के लिए , वरना जी …
जब इस दुनिया में मै आई थी , सपनों की सेज सजायी थी | सपनों की उंगली पकड़-पकड़ कर, कदम-कदम इठलाई थी | हर दिन के साथ नया सपना …
अनदेखी है ,अनजानी है , अद्भुत है , नूरानी है | जो कुछ भी है वो, जैसी भी है , प्यार की पहली निशानी है || ना सोचा था …
छोटी गिलहरी की छोटी सी दुनिया , बिट्टू है किट्टू है वो प्यारी मुनिया || हँसती है जब वो बजती है बंशी , रोते ही उसके छा जाय उदासी …
कैसी रही होगी वो रात , जब सिद्धार्थ ने छोड़ा यशोधरा का हाथ | जन्म-जन्मान्तर का गठबन्धन , पितृ धर्म का महान बन्धन|| किन्तु – परन्तु , उचित – …
मैं पिया मिलन को तरसी रे , मैं पिया मिलन को तरसी रे | मेरी अँखियाँ झर-झर बरसी रे , मेरी अँखियाँ झर-झर बरसी रे || वो छोड़ गए …
तमाम उम्र मोहब्बत की सीढ़ियाँ नापी हमनें , जिस कदम उनसे मिले वो पायदान आखरी हो गया | पहली मोहब्बत बनकर ताउम्र याद आना , या शरीक-ए-हयात होकर क़यामत …
ये काली घनी अँधेरी रात उनकी यादो की बारात , चाहे से ना जिन्हें भूल सके आती है याद हर एक बात || वो भी तो काली रात थी …
सपनो की उन गलियों में , न खिल पायी उन कलियों में आशा के दीप जलाता हूँ , बस प्रेम राग ही गाता हूँ || उन लम्हों को , …
आयी बहुत सी बारिशें , गुजरे बहुत से सावन | झूम के बरसे बदरा , भीग गया तन मन | सोचा कभी न ऐसा , आएगा ये मौसम | …
१ वो आँखे ,वो पलकें वो काली सी जुल्फे || तुम्हारा वो चेहरा , तुम्हारी वो रंगत || खयालो में आकर , ये कहते हैं अक्सर || खुदा ने …