Category: सुरजीत श्रवण
अगर दहेज न होता तो क्या होता।। न ससुराल में लालच होता न मायका बेबस होता न बेटी जलती आग में न बाप पर कर्ज होता अगर दहाज न …
मेरा वजूद इस कलम से है मेरा मकसूद इस कलम से है।। चश्म-ए-तर कर देती है हर आँख न जाने क्या बात इस कलम में है।। सुना है ‘श्रवण’ …
मुझमे समाने से पहले एक बार मेरे गुनाहों को देख लेना क्योंकि मुझमे मेरी ऊम्र से ज्यादा मेरे गुनाह मिलेंगें।। मुझको चाहने से पहले एक बार सोच लेना क्योंकि …