Category: सुरेन्द्र नाथ सिंह ‘कुशक्षत्रप’
क्वार-मास के कृष्ण-पक्ष में, श्राद्ध-पक्ष जब आता है।पितरों को तर्पण करके नर, परम तोष हिय पाता है।।शुचि-सावन में सभी पितर जब, मृत्यु लोक में आते हैं।।पुत्र-पौत्र से श्राद्ध ग्रहण …
‘अ’ से अमरूद ‘आ’ से आमरघुपति राघव राजा राम।।करते जाना अच्छे कामइक दिन होगा तेरा नाम।।’इ’ से इमारत ‘ई’ से ईखदेख छिपकली निकली चीख।अच्छी बातें जाओ सीखयाद रखो सब …
तरही मुशायरा: सफीने डूब जाते है किनारे रक्स करते हैं। बह्र: 1222 1222 1222 1222 दुवाओं का असर जब हो सितारे रक्स करते हैं। सजे महफिल बहारों की नजारे …
छुक छुक करती आई रेल और मचा फिर ठेलम ठेल।। हुई व्यवस्था सारी फेल। चढने में हम जाते झेल। यात्री करते भीषण शोर लगा रहे सब अपना जोर। कुली …
बह्र 1222 1222 1222 1222 हमारे बीच गर थोड़ी सी गफलत और हो जाती। कहें क्या आप से कितनी फजीहत और हो जाती। निभाते आप भी अपनी जुबाँ से …
बह्र -1222 1222 1222 1222 ज़माने में सफलता का अगर मकसद नहीं होता यहाँ कोई गगन चुम्बी खड़ा गुम्बद नहीं होता।। गरीबी को सदा क्यों कोसना यारो पता है …
भारत की पहचान है हिंदी जन जन का सम्मान है हिंदी लेकिन क्यूँ लगती बेघर ये झेल रही अपमान है हिंदी। अपनेपन की शीतल सरिता प्यारी एक जुबान है …
शिल्प: चौपई छंद 15-15 मात्राओ की 4 सम मात्रिक चरण अंत में गुरु लघु।।। नदी किनारे मेरा गाँव। बरगद देता शीतल छाँव। सुंदर मनमोहक ये ठाँव देख पथिक के …
तोता दिन भर जपता नाम रघुपति राघव राजा राम आगन्तुक को करे प्रणाम संग पपीता खाता आम।। बंदर मामा करते शोर दौड़ लगाते चारो ओर बागों को देते झकझोर …
(लावणी कुकुभ ताटंक तीनो छन्दों में) विद्यालय यह मेरा न्यारा, विद्यार्चन करें पुजारी। ज्ञान-सुमन से ही पुष्पित है, अपनी यह सुंदर फुलवारी।। शिक्षक हैं विद्वान गुणी सब, हम बच्चों …
गजल (बह्र 2122 2122 212) गैर मुरद्द्फ़ गजल दूर इन्साँ जब करेगा खामियाँ तब दिखेंगी आप ही अच्छाइयाँ।। आम जन की है मुसीबत मुफलिसी खत्म होती ही नहीं दुश्वारियाँ।। …
*’माँ’ बाल कविता (ताटंक छंद)* हे! माँ तेरी सूरत जग में, मुझको लगती प्यारी है। तेरे बिन घर-मन्दिर सूना, सूनी दुनिया सारी है। हट्टा-कट्टा हूँ फिर भी माँ दुबला …
गजल (बह्र 2122 1122 1122 22) जख्मे दिल साथ लिए घूमते जाने कितने चाह समता की लिए आज दिवाने कितने।। जाति का दंश मुझे आज सताता है बहुत तोड़ने …
गजल (बह्र 1222 1222 122) ज़माने में नयापन हो गया है खुला तन एक फैशन हो गया है।। नही खिदमात होती है बड़ो की चलन अब ये पुरातन हो …
ब़ाढ़ त्रासदी डूबे गाँव शहर लोग चिल्लाये !! नहीं दिखता पानी का छोर! बस बढ़ता जाये!! जड़ जंगम मिट गये कितने हो असहाय!! बिलखती माँ देख बहता लाल निकले …
नारी तुम! सुकुमार कुमुदुनी सौम्य स्नेह औ प्रेम प्रदाता धरती पर हो शक्ति स्वरूपा तुम रण चंडी भाग्य विधाता।। संस्कारों की शाला तुम हो तुम लक्ष्मी सावित्री सीता सत्कर्म …
गजल बह्र 2122 2122 2122 212 अब हमारी सोच में बदलाव आना चाहिए बेटियों को साथ लेकर घर बसाना चाहिए।। सानिया साक्षी मिताली सिन्धु पीटी साइना। देश का गौरव …
बह्र: 2122 2122 212 काफिया -अता, रदीफ़ नहीं ऐ खुदा तू क्यों मुझे दिखता नहीं चाहतों का अब दिया जलता नहीं।। वक्त भी देता मुझे धोखा सदा साथ मेरे …
*बाल कविता-तितली रानी…(चौपाई छंद)* तितली रानी तितली रानी। बाग-बगीचों की महरानी।। फूलों पर तुम रहने वाली। चाल तुम्हारी है मतवाली।। दिखती हो तुम रंग बिरंगी। ज्यों पहने चुनरी सतरंगी।। …
वर्ण पिरामिड था खड़ा बस में भीड़ बीच हो असहाय यूँही बेखबर आने वाले पल से आई कही से खुसबू मदहोश करने वाली दिल बेचैन सा होता गया थी …
ताटंक छंद ( 16-14 मात्रा बंदिश के साथ) फिर आया है दिन उमंग का, जश्न आज मनाएँ खूब! नाचे गायें मन हो जितना, तिरंगा फहराए खूब!! लिए जन्म बुद्ध …
कहीं रंग दिखे, कहीं बदरंग दिखे। कहीं विरहिणी चिठ्ठी बैरंग दिखे।। किसके किसके तन पर कपडे डाले। आधुनिकता में सभी का अंग दिखे।। हो कैसे स्वप्न साकार समता का। …
देश हमारा सोने की चिड़िया करें सम्मान तोड़ गुलामी आजादी हम पाए हो अभिमान दिए आहुति जंगे आजादी बीच वीर जवान श्रद्धा सुमन अर्पित करें हम जो हैं कुर्बान …
भूख चीज क्या मत पूछो करम ये रुलाती तड़पाती सताती बहुत निशा कटती नही नीर के सहारे दिन दोपहर तारे दिखाती बहुत कही चूसता शिशु तन निचोड़कर सो जाती …
जो इंसान दोस्ती को भी नफा नुकसान के पैमाने से देखता है ऐसे इन्सान को क्षत्रप जानी दुश्मन से भी बदतर समझता हैं।। कितना भी बुरा दौर हो, आस्तीन …