वो हिन्दू थे। ========== उन्होंने विपत्ति को आभूषण की तरह धारण किया उनके ही घरों में आये लोगों ने उन्हें काफ़िर कहा क्योंकि वो हिन्दू थे। उन्होंने यूनान से …
ग़ज़ल ====== तेरे इश्क में सितमगर कैसे अज़ाब देखे काँटों पे ज़बीं रखे रोते गुलाब देखे गैरों की बज़्म में यूं बेरिदा ही झमके हमने तो रुख पे तेरे हरदम नकाब देखे बनके रकीबे जां तुम उल्फत में मुस्कराए मिटा के मुझको तुने कैसे शवाब देखे इश्क की बला से कोई बच न सका ‘सुधीर’ इसके कहर से खाक में मिलते नवाब देखे…. ग़ज़ल संग्रह ‘आह’ से… सुधीर मौर्य ‘सुधीर’ गंज जलालाबाद,उनाव 209869
नदी पे तैरते अंगारे उन अंगारों से निकलती धुंए की स्याह लकीर उन लकीरों में दफन होते मेरे ख्वाब उन दफन क्वाबो में भटकती मेरी रूह… तुम्ही को तलाश करती है पर तुम खोये …
न रक्स रहा न ग़ज़ल रही… ******************* इश्क के थाल में चाँद सज़ा कर बाज़ार में बेच दिया कल उसने… सपनो का एक टुकड़ा था जिस संग ज़ीस्त बितानी …