Category: सोहन लाल दिवेदी
प्रकृति-सन्देश पर्वत कहता शीश उठाकर, तुम भी ऊँचे बन जाओ। सागर कहता है लहराकर, मन में गहराई लाओ। समझ रहे हो क्या कहती हैं उठ-उठ गिर-गिर तरल तरंग भर …
ऊँचा खड़ा हिमालय आकाश चूमता है, नीचे चरण तले झुक, नित सिंधु झूमता है। गंगा यमुन त्रिवेणी नदियाँ लहर रही हैं, जगमग छटा निराली पग पग छहर रही है। …
नयनों की रेशम डोरी से अपनी कोमल बरज़ोरी से। रहने दो इसको निर्जन में बाँधो मत मधुमय बन्धन में, एकाकी ही है भला यहाँ, निठुराई की झकझोरी से। अन्तरतम …
जय राष्ट्रीय निशान! जय राष्ट्रीय निशान!!! लहर लहर तू मलय पवन में, फहर फहर तू नील गगन में, छहर छहर जग के आंगन में, सबसे उच्च महान! सबसे उच्च …
हर घर, हर दर, बाहर, भीतर, नीचे ऊपर, हर जगह सुघर, कैसी उजियाली है पग-पग? जगमग जगमग जगमग जगमग! छज्जों में, छत में, आले में, तुलसी के नन्हें थाले …
यह है भारत का शुभ्र मुकुट यह है भारत का उच्च भाल, सामने अचल जो खड़ा हुआ हिमगिरि विशाल, गिरिवर विशाल! कितना उज्ज्वल, कितना शीतल कितना सुन्दर इसका स्वरूप? …
खादी के धागे धागे में अपनेपन का अभिमान भरा, माता का इसमें मान भरा अन्यायी का अपमान भरा; खादी के रेशे रेशे में अपने भाई का प्यार भरा, माँ–बहनों …
किसने बटन हमारे कुतरे? किसने स्याही को बिखराया? कौन चट कर गया दुबक कर घर-भर में अनाज बिखराया? दोना खाली रखा रह गया कौन ले गया उठा मिठाई? दो …
कबूतर भोले-भाले बहुत कबूतर मैंने पाले बहुत कबूतर ढंग ढंग के बहुत कबूतर रंग रंग के बहुत कबूतर कुछ उजले कुछ लाल कबूतर चलते छम छम चाल कबूतर कुछ …
हरी घास पर बिखेर दी हैं ये किसने मोती की लड़ियाँ? कौन रात में गूँथ गया है ये उज्ज्वल हीरों की करियाँ? जुगनू से जगमग जगमग ये कौन चमकते …
एक किरण आई छाई, दुनिया में ज्योति निराली रंगी सुनहरे रंग में पत्ती-पत्ती डाली डाली एक किरण आई लाई, पूरब में सुखद सवेरा हुई दिशाएं लाल लाल हो गया …
आया वसंत आया वसंत छाई जग में शोभा अनंत। सरसों खेतों में उठी फूल बौरें आमों में उठीं झूल बेलों में फूले नये फूल पल में पतझड़ का हुआ …
अलि रचो छंद आज कण कण कनक कुंदन, आज तृण तृण हरित चंदन, आज क्षण क्षण चरण वंदन विनय अनुनय लालसा है। आज वासन्ती उषा है। अलि रचो छंद …
न हाथ एक शस्त्र हो, न हाथ एक अस्त्र हो, न अन्न वीर वस्त्र हो, हटो नहीं, डरो नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो रहे समक्ष हिम-शिखर, तुम्हारा प्रण उठे …