Category: शरीफ अहमद क़ादरी ‘हसरत’
वो तो हमारे दिल का सुकूनो क़रार हैं हर इक अदा पे उनकी दिलो जां निसार हैं …
चाँदनी बदली से गर निकली नहीँ तो क्या हुआ । रोशनी उसकी अगर बिखरी नहीँ तो क्या हुआ ।१। ऐक दिन चूमेगी क़दमो को सफलता बिलयक़ीँ। अब के क़िस्मत …
ये सज़ा मिली मुझको तुमसे दिल लगाने की मिल रही हें बस मुझको ठोकरें ज़माने की फैसला हे ये मेरा मैं तुम्हें भुला दूंगा तुमको भी इजाज़त हे मुझको …
फिर से गुजरे वो पल याद आने लगे भूल जाने में जिनको ज़माने लगे हैं वही शोखियाँ है वही बांकपन जितने मंज़र हैं सारे पुराने लगे कोनसी …
अब तो तुम्हारे इश्क में बीमार हम नहीं उल्फ़त में अब तुम्हारी गिरफ्तार हम नहीं उनकी ख़ुशी की चाह में हमने भी कह दिया लो अब तुम्हारी राह में …
उसकी पहली नज़र ही असर कर गयी एक पल में ही दिल में वो घर कर गयी हर गली कर गयी हर डगर कर गयी …
लुटाने उर्दू अदब की खुशबु हम आज बज्मे सुखन में आये सजाके लाये हैं हम ग़ज़ल मैं ख्याल जितने ज़ेहन में आये ख़ुशी भी ग़म भी जफा वफ़ा भी …
सदा आती है ये अक्सर तड़प के मेरे सीने से …
आँखों में भरे खूँ लिए तलवार खड़ा है करने को मुझे क़त्ल मेरा यार खड़ा हे दे दे तू मुझे अपने दुआओं …
दुनिया की अंगूठी के नगीने मे डाल दे मुझको बना के खाक मदीने में डाल दे मुश्को गुलाब की तो मुझे आरज़ू …