Category: सन्तोष गुलाटी
रिटायर्ड होने के बाद–संतोष गुलाटी जब मै रिटायर्ड हो जाउँगा कहीं खुशियाँ होंगी कहीं मातम होगा कई लोग खुश होंगे कि उनकी पदोन्नति हो जाएगी कई दुखी होंगे उनको …
आतंकवाद शिशु दूध के लिए रोए तो माँ के लिए आतंकवाद दोस्त की दोस्त से अनबन हो जाए तो दोस्तों में हो जाए आतंकवाद एक सहेली अपनी सहेली की …
किसी ओर की माँ जब माँ की याद सताती है उसकी हर बात याद आती है हर कोई माँ को याद कर रोता है लेकिन यह कभी नहीं सोचता …
नारी और विश्व की प्रगति और नर चेतना–संतोष गुलाटी नर को मानना पड़ेगा नारी दुर्गा, सरस्वती और लक्ष्मी का रूप है नारी की प्रगति के बिना विश्व की प्रगति …
बचपन यह कैसा था बचपन बस खेलना और खाना कभी पेड़ पर चढ़ना तो कभी नदी में कूद जाना कभी यह न सोचना कि माँ को कभी न सताना …
रसोईघर रसोईघर एक किले से कुछ कम नहीं उसकी स्वामिनी होती है एक गृहिणी बर्तनों की आवाज़ और चूड़ियों की खनखनाहट से किले में उसका होना संकेत है रसोईघर …
विश्व शा्न्ति का नारा विश्व कर रहा पुकार है शान्ति के लिए हो रही हाहाकार है यहाँ कैसा हो रहा नरसंहार है मासूमों पर क्यों हो रहा अत्याचार है …
राम वनगमन अयोध्या के राजा दशरथ का निर्णय सरयू नदी किनारे अयोध्या अयोध्या का राजा दशरथ ज्ञानी और सत्य-पराक्रमी दशरथ की रानियाँ तीन और राजकुमार चार था उसका खुशियों …
आया वर्षा का मौसम मुंबई की बारिश का अजीब नजा़रा नभ में छाए काले बादल हवा से इधर-उधर जाते बादल उमड़-उमड़ कर आए बादल, बादलों की गड़गड़ाहट शुरू हुई …
दादी की छड़ी बड़ी निराली दादी की वह पक्की सहेली है दादी के साथ हरदम रहती है दादी को ठीक चलाती है दादी के साथ घूमने जाती है दादी …
बिल्लू और टिल्लू एक पार्क में इधर से उधर जा रहे थे एक दूसरे की ओर देखते हाथ हिलाते फिर चले जाते बिल्लू ने टिल्लू को पकड़ लिया अपना …
म्याउँ, म्याउँ, म्याउँ—कौन ? बिल्ली बिल्ली बोली म्याउँ, म्याउँ भूख लगी मैं किसको खाऊँ ? चूहे मुझ से डरते हैं बिलमें छुपकर बैठे हैं आठ चूहे बाहर निकले बिल्ली …
बाल कविताएँ– पक्षी चूँ,चूँ,चूँ—-कौन ? चिड़िया चिड़िया चूँ,चूँ करती है सारा दिन फुदकती है दाना लेकर आती है बच्चों को खिलाती है ।। ========================================= काँव, काँव, काँव–कौन ? कौवा …
तुम ऐसे जियो कि ओरों को भी जीने की तमन्ना हो , ऐसे बीज बोयो कि कैक्टस में भी फूल लगे , ऐसी नज़र उठाओ कि दुश्मन का सिर …
अंतहीन संघर्ष है जीवन का संघर्ष है जन्म से लेकर मरण तक का संघर्ष है परीक्षा में अधिक नम्बर पाने का संघर्ष है नौकरी में ऊँचा पद पाने का …
जंगल में मंगल आओ मिलकर जंगल बनाएं जंगल में रास्ते बनाएं एक किनारे नदी बहाएं हरे छोटे ऊँचे पेड़ लगाएं पेड़ के पीछे पहाड़ बनाएं पहाड़ के पीछे सूरज …
कली खिली, कली खिली कली खिली, कली खिली कली खिली शोर हुआ बाग में सब मनमोहक हुआ बाग में कली खिलखिलाने लगी बाग में कली इतराने लगी बाग में …
रचनाकार की रचना रंग लाई कानों में आवाज़ आई एक ओर बेटी घर में आई (पर) चारों ओर उदासी छाई भगवान का आशीर्वाद माना मेरी खुशी का न था …
मेरी बेटी हो मेरे जैसी ऐसी मेरी चाहत थी उसका चेहरा हो मेरे जैसा ऐसी मेरी तमन्ना थी निर्दयी समाज न माना बेटी को एक शाप माना मेरी पुकार …
मत मारो मुझे बताओ क्या है कसूर मेरा मैं हूँ अपनी माँ का प्यार दे दो मुझको केवल जीने का अधिकार नहीं चाहिए धन-दौलत नहीं चाहिए सैर-सपाटे नहीं चाहिए …
पुनःनिर्माण हरा-भरा पेड़ देखा चिड़ियों का जोड़ा देखा कभी फुदकते इधर कभी चहकते उधर तिनका-तिनका लेकर आते छोटासा घोंसला बनाते चूँ-चूँ करके आवाज़ लगाते बारी-बारी से घर बनाते वहां …
नया ज्ञान छुट्टियां बीत गईं रातों की नींद गईं उठा आलस छोड़ा स्कूल की ओर दौड़ा इमारत वही प्रिन्सिपल वही घड़ी वही घण्टी वही कमरे वही कुर्सियां वही शिक्षिका …