पहले जब हम खत लिखते थे सोच कर अपना मत लिखते थे अब तो मेरा मत न तेरा मत फ़ॉर्वर्डेड मेसेज ने की आफत यूँ मेसेज से बनते बिगड़ते …
मै कब से बैठा हूँ इसी सोच में गुमसुम-गुमसुम, कैसे शब्दों में लिखूँ अपने मन की बात। बेतहासा जरूरतों ने कर दिया जुदा सबको, पतझड़ में कैसे लिखूँ अब …
बड़ी शिद्दत से कर्मो का सिला देती है| जिंदगी तू मुझे हर बार मिटा देती है| नाकाम हुई हर जनम कोशिशे मेरी, जिद ए जिंदगी हर बार दगा देती …