पूछा एक इन्सान ने मुझसे, के कहाँ मिलती हे ख़ुशी। कहा मेने की मिलती तो हर जगह हे, तू बता, की क्यों हे तू इतना दुखी।कहा उसने, की हो …
मिटटी तो उध जाती हे घर से, पर यादें दिलों में रहती हें। शरीर भी पंच तत्वों में मिल जाता हे, और अस्थिया भी गंगा में बहती हें। केसी …
जब मन के मंदीर से इक सपना पैदा होता हे। इक झरने की हलकी सी पानी की बोछार जेसा होता हे। लिखता हे इक कोरे कागज पे इक सत रंगी दुनिया। इक प्यारे से एहसास जेसा होता हे। होती हे कल्पना इक अनदेखे जीवन की। फूलो की बहार जेसा होता हे। इस श्राष्टि में हब सब सपने देखते हें। पूरा करने की खुआएश भी रखते हे। कुछ सपने खो जाते हे जिंदगी की गलियों में, पर कुछ को पूरा करने का जस्बा जिन्दा रहता हे। सपने पुरे करने के लिए कुछ राहो का साथ छोधना पढता हे। हकीकत से भी कुछ लम्हों के लिए दामन छोधना पढता हे। हकीकत हर पल आ कर इक दर्पण द्हिकाती हे, रास्ते में मुसीबतों का जंगल बखेर कर चली जाती हे। मिलती हे सपनो को राह इसी जंगल के रास्ते से। मिलती हे एक फूलो की बस्ती भी इसी रास्ते पे। तो ठानी मेने चलने को इस रास्ते पे। शुरू शुरू में महसूस हुई कोटों की चुबन। पैर लहुलुहान हुआ, पर ना तोधा सपनो ने दम। चलते चलते बहुत दिन हो चुके थे। …