Category: संदीप कुमार सिंह
सत्या को जान कर भी मैं अंजान फिरा करता हूँ विपतियों की माला को, मैं अपने साथ लिए जीता हूँ पानी के फर्स पर मैं कागज की नाव लिए …
वह परेशान दिखती है ============== वह नजरे झुकाए बैठी है गमो को दिल से लगाए बैठी है आंखो को नम किए बैठी है खुद को कहीं गुम किए बैठी …
कुछ कमी है मुझमे कुछ भी तो अच्छा नहीं लग रहा जिंदगी का कोताहल कुछ इस कदर डरा रहा है मुझे मानो अंधेरा ही अंधेरा पर लड़ूँ कैसे ज्ञान …
देखो न तुम्हारी यादों की नशा कुछ इस कदर चढ़ा मुझपर कि, देखते ही देखते सुबह हो गई खिड़की के बाहर देखते ही उजाला नजर आने लगा धीरे-धीरे अंधेरा …
वो सड़क पर सोता था भूखे पेट रोता था अपने ही देश का बेटा था जिसे, आपनो ने ही लूटा था। प्यास लगती तो बादल को देखता भूख लगती …
वह अपने आप को छुपाती है सारी बाते लबो से दबाती है कुछ कहना है तो कह दो दो दिन की जींदगी और बाकी है। मैं तो चाहता हूँ …
हमें डर लगता है इसी लिए तो चुप रहते है वरना कलाम तो हमारी भी खूब चलती है। हमे डर लगता है सामाजिक मुद्दो पर लिखने मे अपने विचार …
आंखो के सामने उलझते देखा दो दोस्त को बिगड़ते देखा दो प्यार को लड़ते देखा दो फूल को टूटते देखा । न देखा तो, किसी को बनाते न देखा …
परिवर्तन जीवन का नियम हैं पर इतना भी क्या ठीक है? मनुष्यों का हृदय परिवर्तन इंसान से हैवान बन जाना। नहीं-नहीं यह ठीक नहीं परिवर्तन नियम है, जीवन है …
माँ, थक गया हूँ मैं इस जिंदगी के भाग-दौर में, भागते-भागते अब रुकना चाहता हूँ थोड़ा बैठना चाहता हूँ किसी वृक्ष के नीचे आराम करना चाहता हूँ । माँ, …
भुला देना मेरे हृदय से तुम्हारे हर एक यादों को उन फरियादों को, मुलाकातों को उन हर एक नजारो को खुद को, मुझ को, हम सब को। भुला देना …
आंखो के सामने उलझते देखा दो दोस्त को बिगड़ते देखा दो प्यार को लड़ते देखा दो फूल को टूटते देखा । न देखा तो, किसी को बनाते न देखा …
कचड़ो का ढ़ेर हैं चारो तरफ अंधकार पर जल रही है ज्योति एक जो फैला रहा है प्रकाश । शांत, निरास है दर्द उसमे एक परिवार का जो देख …
कोरा कागज लेकर बैठा हूँ कुछ लिखना चाहता हूँ मन की बातो को कहना चाहता हूँ पर शब्द ही नहीं मिलते मेरे आंखो के सामने एक दृष्य बार-बार घूमता …
छोटी-सी सुंदर नाजुक कलियाँ फूलों सी मुसकाती हैं पर हर रोज वह किसी तरह से पैरों से कुचली जाती हैं। बात करूँ मैं उन फूलों की जो रातों को …
पाँच साल की छोटी लड़की जब रस्ते पर होती है इस दुनियाँ की धूम-धाम में मन ही मन वह रोती है। मुसकाती चेहरो के पीछे रस कडवे का पिती …
तेरे संग दो पल बिताना सोंचा पर आसान नहीं है कांटो के पथ पर संग-संग चलना नामुमकिन ये काम नहीं है। जीवन का संग्राम मिटाना ये मेरे बस की …
उसकी हंसी ढूँढने की कोशिश किया थोरी देर पहले अंदाजा न मिला कि वह मुझसे ही खफा हो गयी। कोयल की वाणी में आज कड़वे की प्याली लग गयी …
संयोग से हम यहाँ चले आए भविष्य की चिंता बहुत सताये आप ने उम्मीद की किरण जगाए मन को हमारे सुकून पाहुचाए। सुरूज़ की किरणे उजियारा फैलाए आलस है …
निकलती किरणों से खिलती हो तुम पवन के साथ मुसकुराती हो तुम कल-कल करती नदियों सी गुन-गुनाती हो तुम बारिश की बुंदों से जब नहाती हो तुम। ऐसा लगता …
तेरे इंकार करने से पहले मैं रास्ता बदल जाऊंगा जिस रास्तो से तुम गुजरोगी वाह पथ मैं छोड़ जाऊंगा जब याद कभी करोगी मुझको तेरी यादों से निकल जाऊंगा …
दुख यही था, जो सह न पाया समय पर तुमको मैं, कुछ कह न पाया याद मुझे तेरा जब-जब आया आँसुओ को मैंने जाम बनाया । किया महशुस, तूने …
समय का होता मुझपे बार-बार प्रहार मजबूरीयों में गिरता-पड़ता मई हूँ बेहाल कम न आए मेरा कोई भी यार फिर भी करता मै सब से प्यार । चला जाता …
दोस्त क्या कहलाता है यह कौन हमे सिखलाता है साथ हमेशा देना उसका यह कौन हमे सिखलाता है । आऐ यहाँ हम जब अकेले न कोई हाथ बढ़ाता है …
तेरे जुल्फों ये काले बादल प्यार की बारिस, ये मचाए हल-चल है आंखो मे नूर, तुम हो चंचल दिल मे मचाए ये, प्यार के हल-चल तेरे जुल्फों के ये …