Category: सजन कुमार मुरारका
बात बात में मजहब की वो ढाल उठाते रहते हैं.जब देखो वो नियम कानूनों की बाट लगाते रहते हैं.भेजा उनका सड़ा दिया राजनीति की चालों ने. इसीलिए वे आगे …
#उठा_न_पाते_पत्थर_तुम —————————- काश न होता हाथ तुम्हारे । उठा न पाते पत्थर तुम ।। काश न होता इतनी नफरत , उठा न पाते पत्थर तुम। नफ़रत की आग में …
एक कदम घर की ओर ———————- कदम बढ़ा रहा था , जाने क्यूं ओ घर की ओर । था पता उसे, नहीं है कुछ खाने को वहां, फिर भी …
जिसने देश का मान बढ़ाया ———————————– जिसने देश का मान बढ़ायाजीता मेडल नाम कमाया । सुन ली गर्जन वीर शेरनी की ।क्रोधित शेरनी ने …
कोरोना का कहर —————– कैसा है ये महामारी का डर ।कैसा हैं ये कोरोना का डर ।। थम सी गई है जिंदगी सबकी ।रुक सी गई है जिंदगी सबकी …
लगी जो आग इस ज़माने में वो बुझे कैसे, उठी दीवार ये जो दरमिया गिरे कैसे। दरारे पड़ रही बचपन की मुस्कुराहटों के बीच,बढ़ रहीं दूरियां दिल की, ये …
दुर्गेश मिश्रा
13/05/2017
अज्ञात कवि, ओमेन्द्र शुक्ला, धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ, नवल पाल प्रभाकर, मदन मोहन सक्सेना, मनिंदर सिंह मनी, राम केश मिश्र, शर्मन, शिशिर कुमार गोयल, सजन कुमार मुरारका, हरदीप कौर सन्धु, हरदीप बिरदी, हरप्रसाद पुष्पक, हरमीत शर्मा कवि, हरि पौडेल, हरि शंकर सैनी, हरिओम कुमार, हरिवंशराय बच्चन, हरिहर झा, हरेन्द्र पंडित, हर्ष कुमार सेठ, हसरत जयपुरी, हितेन पाटीदार, हितेश कुमार शर्मा, हिमांशु 'मोहन', हिमांशु श्रीवास्तव, हेमन्त 'मोहन', हेमन्त कुमार, हेमन्त खेतान, हेमन्त शेष
– एक सफ़र देखे मैंने इस सफर में दुनिया के अद्भुत नज़ारे, दूर बैठी शोर गुल से यमुना को माटी में मिलते | की देखा मैंने इस सफर में….. …
वक़्त है आज गुजर जाएगातेरा साथ है एक दिन छूट जाएगाबदलेगा जमाना तू भी बदल जाएगावक़्त है आज गुजर जाएगातू आज साथ हैमै बड़ा जो हूँकल मै छोटा होंगातू …
भीड़ है भीड़ मे खो जाने दोकुछ अपना सा हो जाने दोतनहा हूँ मैं , तनहा हो जाने दोएक बस मकसद है , पूरा हो जाने दोभीड़ मे मुझे …
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23/10/2016
अज्ञात कवि, अज्ञेय, अटल बिहारी वाजपेयी, अभिषेक उपाध्याय, ऋतुराज, ओमेन्द्र शुक्ला, धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ, नवल पाल प्रभाकर, राम केश मिश्र, शर्मन, शिशिर कुमार गोयल, सजन कुमार मुरारका
“आरक्षण की आग मे जल रहा हैं हिन्दुस्तान”,शिक्षा नौकरी पाने को बिक रहे हैं कई मकान,ठोकरे मिलती हैं यहा मिलता नही हैं ग्यान…. “आरक्षण की आग मे जल रहा …
वक्त दर वक्त या बेवक्त हर भाव जो दिल के अन्दर टूटते-बिखरते और इससे परेशान दर्द जब उभरता मैं फिर टूट जाता पर चुप रहने भी नहीं सकता कुछ …
जिन्दगी के दस्तूर बड़े निर्जीव हसंता-रोता खेलता मौत के ठिकाने पहुंचने सजीव इसका तानाबाना यादों के धागों मे बुन थमा जाते कुछ दमकते चिराग जिस का असर अज़ीब रोशनी …
आप तो ऐसे ना थे जरूर कोई बात हुई है या समझने में कोई भूल हुई है आप ही बताए,क्या बात है आपने थाने मे रपट लिखाई है।“ क्या …
असमंजस परिस्थिति-का एहसास, दिल में ये र्दद कब उठा ? कब शरीर का एक-एक हिस्सा, ज़मकर बेज़ान होने लगा? अब जख्मीं हालात मे; आगे धूप से तप्ते पल, पत्थरों …
है आसमान मैं धरती मिलन प्यासी सदीयों से भ्रमित क्षितिज मे मिलन आश्वासित जितनी पास जाती तुम दूर हो जाते पर जब बरसाते स्नेह की धारा पल्लवित आशायें तुम …
दिल की धड्कन के राग कैसे कैसे समझ नहीं आते सुर , फिर भी घुल से गए जैसे, मन मे तरंग मधुर ताल और झंकार चले ऐसे वीना मे …
सिमटी कोई लज़्ज़त- जैसे बाँहों में खामोशी से सीने में रंग भर दे, वैसे ही सहसा,बिन आहट, किसी ख़ास लम्हे को पिरोने रंगों मे हसरत मुहब्बत को सजाने लरज़ते …
शब्द शब्द हैं मुखर नेह अनुवादों की अक्षर अक्षर गमक रहा सुगंध देह की स्याही महकी यादों की फ़ैल गई सुरभि अन्तरमन की मन बहके खुशबु सोंधापन की सजल …
अब मेरे चहरे पे उनकी तस्वीर निगह आए, आइना भी शर्मसार है, मेरे तस्वुर मिट आए सजन
मिलने की नज़ाकत दिल मे शिहरण सी जगाए, वह्कने लगे कदम, फ़क़त उनके गली दौड़ लगाए; सजन
भटके ख़यालात,यादों के फ़सादों से वीरान हो जाए! महकते फूलों मे उनके बदन की खुश्बू ड़ूडंने मन जाए , सजन
मेरी ज़िन्दा-लाश से आह भी न निकले वादा हम करे ! आहों से रिसती गज़ल,खामोशी से प्यार पे निछावर करे| सजन
मालूम न था, बदगुमानों से इश्क का नतीज़ा,क्या करे, किसी सूरत से, दिल को करार मिले, लाचारी क्या करे, सजन
प्यार की नज्म मगर जाने- क्यूँ लाख कोशिश से भी न लिख पाते हैं ? लगता है फुल पे मंडराती तितली : पकड़ते-पकड़ते उंगली से छुट जाती है ! …
माशूक़ की जुल्फों के साये से लरज़ते काँपते दिल की धड़कन से, मुहब्बत की नज़्म लिखने की हसरत, पाना है एहसास के हर लम्हे से