Category: रिंकी राउत
दुर्गा का पर्वस्त्री शक्ति का पर्वभक्ति का पर्वलज्जित होतीऔरत हर रोजतार-तार हैमाँ कहते हो मूर्ति को पूजते होपाखंड क्यों?हत्या बेटी की गर्भपात कराते पापा करते बलात्कार हैअत्याचार है यहाँआराधना …
हिन्दी भाषा कोबोलने में लज्जातेशर्म करतेविदेशी बोलीकी गुलामी बजातेशरमाते वोतिरस्कार मिले उसे जो बोले हिंदी भाषा कोगुलामी शौकअंग्रेजी बतियातेनाज़ करतेसम्मान करोदेश महान करोभाषा अपनीहिंदी महानहिन्दुतान की शानहिंदी महानरिंकी Оформить …
जैसे मैं हूँ वैसे तुम कौन हो?सवाल था कुछ ऐसामिला जिसका जवाब किसी को नहीं यहाँसवाल भी पूछा किसनेजिसके उम्र और सवाल में हैसदियों का फासलातीन साल का बालकजो …
ना कभी सवाल पूछाना कभी प्रमाण माँगाबस कहने भर से साथचल देते थेमेरे चेहरे को किताब की तरह पढ़ लेते थेदुनिया के तानो को हम साथ में मिलकर सह …
परछाई थीसाए में छुपी रहीवो तो स्त्री थीबोली नहीं वोचुपके छोड़ दियावो जवानी थीगुडिया गुड्डाअपनी राह चलेवो बच्चे मेरेबढ़ते रहेबदलते हमेशासपने मेरेरिंकी Оформить и получить экспресс займ на карту …
तू उस आंसू की तरहआंख मे ही सुख जाएवो गीत मन जो गाता जाएबात कुछ ऐसीजो कही न जाएवो फरियाद जिससे जुडी मेरी आसएक ऐसा राजजो दफ़न हो मेरे …
प्रेम शुद्ध कांच सा निर्मल थाजब पेहली बार बचपन और यौवन के बीचहुआ धीरे-धीरे,जैसे-जैसे प्रेम कोसमझने की कोशिश कीप्रेम में मिलावट घुलता गयाप्रेम मिलावटी हो गयादोस्तों ने अपने रंग …
जमीन पर एक लकीर खीचीइन्सान चले अपने-अपने ओरएक ने कहा पाक जमीनदुसरे ने कहा भारत महानबैर दोनों ने पालाकुछ खास लोगो ने कभीनफरत की आग को बुझने नहीं दियाजमीन …
क्या चुने, क्या छोड़े जिंदगी इसी जद्दोजहद में गुजारी सुबह का सुर्ख लाल सूरज रेत पर लम्बी परछाई बना सागर में बुझ गया मैं बस रेत के कण चुनता …
ख़ामोशी भी एक तरह की सहमति है मैं चुप रहकर तेरे जाने को रोक न सका मजबूरी का रोना हम दोनो ने रोया तुम मुझसे दूर जाने के बहाने …
जैसे हर जादूगर का अपना खास जादू होता है वैसा उसमे भी मोजूद था | अलमारी में छिपे बक्से का जादू जब भी बक्सा खुलता उस पारी का जादू …
पीने से कोई सवाल हल नहीं होता और ना पीने से भी मेरा कोई सवाल हल नहीं हुआ पीते-पीते मैं पूरी रात पी गया रात का खोखलापन, शराब का …
वो खाली पेट भटक रहा बंजर पड़ी ज़मीन को तरही नज़र से ताक रहा रोज़ सोचता गाँव छोड़े शहर की तरफ खुद को मोड वो देश का अनंदाता है …
शिकायत साँझ ने कुछ ऐसे की जैसा कोई रूठा दोस्त शिकायत कर रहा हो कहा की मुझे भूल गया तू सुबह से रात तक जगता खून पसीना बहा कागज़ …
मेरे सिरहाने रहकर भी मुझसे रूठी है किताबे कुछ टेबल पर,कुछ पलंग नीचे जा छुपी आधी पढ़ी, आधी बाकी कोने में रखी किताबे हमेश पढ़ी जाने के इंतजार में …
कही किसी ने धर्म पर अपनी राय दी मानवता की मर्यादा को तोड़ता हुआ असंवेदनशील टिप्पणी कही किसी ने खेल खेला ऐसा शतरंज का खेल जिसे खेलता कोई है …
ये सवाल जो पीछा करता है हर मोड़ पर पूछा करता है तू कौन? तू कौन है? मैं हूँ वो हमेशा हसंता हूँ पुरषार्थ पर यकीन करता हूँ समय …
ठण्ड में शाम जल्दी ही रात का कंबल ओढ़े लेती है सूरज भी अपने आप को स्वेटर में लपेट लेता है हम भी आग से चिपक कर गरमाहट को …
चाहे कितना भी भर लो अपनी सोच से ज्यदा पहुँच से ऊपर ढेर लगा लो पैसे का जाल बिछा लो रिस्तो का जितना हो सके खरीद लो छल लो …
गुलज़ार कहते है खुशी फूलझड़ी सी होती है रोशनी बिखरती झट से खत्म हो जाती है दर्द देर तक महकता है भीतर ही भीतर सुलगता है उसकी खुशबू जेहन …
बाल दिवस के मेले में हर बाल कन्हिया बन नाच रहा हर बालिका मलाला बन कर अपने अधिकारों पर बात रख रही हर बच्चा कलाम सा दिख रहा हर …
कुम्हार चाक चलता हुए सोचता कितना बिक पाएगा दीया इस बार बिजली के बल्ब और मोमबती के बीच क्या कही टिक पाएगा मिट्टी का दीया इस बार मिठाई आती …
बार-बार जलाने के बाद भी रावण साल दर साल विशालकाय और विकराल रूप धारण करता रहा ना रावण को जलानेवाला हारे ना ही रावण हारा सिलसिला सदियों तक चलता …
पहली ठोकर ने मुह के बल गिराया दर्द पुराना होने तक महसूस किया दूसरी ठोकर ने सर खोल कर रखा दिया होश आने तक जिंदगी हवा हो गई थी …
प्यार होने या न होने मे फर्क बस इतना था जब वो था तो,मैं नहीं था जब मैं था वो नहीं प्यार के देहलीज के लकीर पर हम दोनों …