Category: रविश ‘रवि’
तेरे लबों के साये में हुई आज सहर…. तेरे पहलु में छुपी है आज की शाम…. शर्माता हुआ निकला चाँद तेरे शानों की ओट से…. रात …
माना के तेरे हाथों की लकीरों में मेरा नाम तो नहीं , तुने मुझे याद न किया हो,ऐसी भी तो कोई शाम नहीं. रविश ‘रवि’ raviishravi.blogspot.com …
देखा था फलक पर रात जिसे रोशनी में दमकते हुए… सुना है सूरज की रोशनी में उस ‘चाँद’ ने दम तोड़ दिया. रविश ‘रवि’ www.facebook.com/raviish.ravi
यूँ तो तू भी … तेरी जुस्तज़ू भी और तेरा वज़ूद भी है पर इन सबके बीच मेरा होना … मेरा न होना … कहीं बिखर गया है … …
यहाँ मसाईलों के अंधेरे हैं बहुत चलो वक्त की साख से कुछ पत्ते तोड़ लूँ… गम्-ए-दौरां ने तराशा है मुझे ऐ ग़ालिब, तुझसे जीने का हुनर सीख लूँ. …
न जाने कैसे गुजरेगा अब के बरस …. सर्दियों का मौसम !!! सपनों के धागों से बुना स्वेटर उधड़ गया है जगह-जगह से !!! उम्मीदों की रजाई में गांठें …