Category: रविपाल उध्दवराव भारशंकर
ऊचु चूचु सोनी चिड़ीया, ऊलु लूलु प्यारी गुड़ीया तेरे मन का भेद मै जानू, जानु जानीया, जानु जानीया प्यारी प्यारी, तु है न्यारी इस बगीया की फुलवारी चाहूँ तुझपे …
मेरी लाखों करोडों में हसीन है आरजू, अनमोल आबरू नीला नीला आसमां हसीन मंजर सतरंगी खयालो का खंजर उतर तो आए दिल में ना कोई गुहार रहें जान भी …
कानुन का राज है या उपदेश का राज सच क्या है बताओ मै पुछता हुँ आज झाडू लगाते हो करते नदी नाले साफ संसद चलाते हो या मुंगसीपालटीराज विधी …
हरेक पल है साथ साथ तु यही लगे है आस पास तु तु इक लगाव है गज़र में वक्त का बहाव है सफर में रूख़ दे सके वो मुक़ाम …
चूल्लभर पाणी भरते है लोग दिल्ली में जाके मरते है लोग एक अदना सा ख्वाब देखते और भला क्या करते है लोग टिचर, साइंटिस्ट राष्ट्रपती बन जाते राजनिती को …
दिल है दिलेरी, अंजाम आखरी, कुछ भी हो सकता है. कहना पडेगा छल है मुहब्बत, मिठी छुरी. किया प्यार हमने अपनी तरह से, फलक छू रहा हो जैसे अपनी …
मैं राजा, तु राणी मैं तेरी दीवानी हूँ राज में मेरे होगा वही जो मैं कहूँ कैसा रहेगा तुम्हारे लिए अगर शीश महल बनवाऊँ या फिर ऐसी जगह ले …
जिंदगी तु मुझ में उतरकर, अदब से तो आयी बेअदब है दुनियां इस में देख परछाई काश पहले पुकारा होता, जिंदगी तु बेरूख सफर में ना होती,भंवर में अधर …
तेरा नाम जो भी हो सुंदरी सुंदरता का तु लफ्ज़ है आखरी ना कोई गजरा, काजल झुमका कहानीयों में सुना है ऐसी तु परी तेरी बोली सरगमी बांसुरी, नैनो …
कोई जलाता नहीं अपना घर मगर आग होती है ये जिंदगी बुझाता है कोई मगर अपना दर अगर जाग होती है ये जिंदगी कोई तुड़ाता नहीं अपना सर मगर …
मृग जल ला दो, दो बुंदीया; मुझे प्सास लग जाती है जिंदगी चलते चलते याह बन जाती है देख जमाना जिन राहों पर चलने से घबराता है उन राहों …
आ जा तुझे दिल में उतारू, आ जा तेरे संग-संग सवारू तु ही रे मेरी खुशी, तु ही रे है जिंदगी, तुझमें है जां बसी कली, बेकली है, तेरे …
साथी तु मेरा, मुझेको सच्चा लगता हैं तेरे संग-साथ, मुझको अच्छा लगता है मीठी सी खुशबू आती है, तेरे रग-रग से तेरे लब के अंगारे, जैसे दहकते तु जो …
और जरा सा रह लेता, पानी जैसा बह लेता खुशबू सी आ जाती थी, कण-कण महका सा होता और कहानी ये होती कि, सारा आंगन लहराता पल में जो …
खयाल पे खयाल ना कर, खयाल परिंदा होते हैं खुदी पे मर, गुनाह ना कर, गुनाह जिंदा होते हैं ये कौन सा धुवाँ हैं, तेरे मेरे दरम्यान सुनसान सा …
यहां वहां, इधर उधर, डगर डगर जमीं खा गई या, आसमां गया निगल आजकल मेरे इस गांव में कम नहीं गरीबी मेरे इस गांव में कम नहीं अमीरी मेरे …
मैं तेरे दांव मे दरकार ना हो जाऊँ कहीं और तेरे गांव में सरकार ना हो जाऊँ कहीं दिल दिया है तुझे जां फकत तेरी हैं मैं तेरे नांव …
तमस मेरा धुल गया, लगता मैं स्कुल गया मनस मेरा घुल गया, लगता मैं स्कुल गया समन मेरा खुल गया, लगता मैं स्कुल गया गमन मेरा भुल गया, लगता …
धरम “नकल राजनिती” है और राजनिती “नकल धरम” इंसा के पैदा होते है अंधी में सकल “करम” ठाकते रहते देखा देखी आती नहीं शरम इंसा वो जो देखते रहता …
गंगा क्या शुध्द् करता है धंदा मत कर धरम-करम के नामपर तु गंदा मत कर ब्रम्ह नहीं तु आदम है दो हाथ पैरो वाला कपडे-लत्ते वाले तु रंगा मत …
तुझे मारने वाले बाईज़्ज़त बरी हो गये हैं हरिजनों के, तेरे वे अब हरि हो गये हैं लोग हुकूमत, दे रहें हैं उनकी हाथों में खुशीसे खुल्लमखुल्ला देस में …
कविता है हो जाना, कविता है खो जाना कविता एक दिन नहीं, कविता है रोजाना कविता तेरा मेरा, एक रूप एक दर्पण कविता तेरे मेरे, दिल की एक धड़कन …
दिलों को जोड़ती है कविता दीवारे तमाम सारी तोड़ती है कविता खो गया है आदमी दूनिया के मेले में घर की ओर राहें मोड़ती है कविता आसान नहीं है, …
जो हमपर छा गया है वो नशा है तुम्हारा तुमने ही गहरा किया है हल्का सा नजारा तुमने किताबो में पढ़ी होगी ये बाते हम ने धड़कनो से लिखे …
गणतंत्र नहीं गुणतंत्र चाहिए आदमी स्वतंत्र चाहिए जीने के लिए मरने के लिए आप अपने तरने के लिए खाने के लिए पीने के लिए नींद भर सोने के लिए …