Category: रवि भट्टाचार्य
जीवन की नयी उमंग सी तुमबिन फूलो की भी बसंत हो तुममधुशाला की मदिरा पड़ जाये फीकीमदहोशी की वो भरमार हो तुम … कभी धूप में कुम्लाई सी तुमकभी …
सूरज की पहली धौस सी तुम फूलो की मखमली ओस सी तुम पहली नज़र का प्यार हुआ जब बिन पिए मदहोश थी तुम…..सुगंध सी उर में बस गयी तुम …
इस कदर इंतज़ार करना पड़ेगा, किसे पता था, इस कदर बेकरार होना पड़ेगा, किसने सोचा था, इस कदर याद आएगी तुम्हारी, मालूम न था, तुम प्यार बेइंतहा दोगी, गुमान …
तन्हा है दुनियाँ की भीड़ में हम ना ठिकाना, है मंज़िल की तलाश में हम मिलेगा कभी तो खोया संसार हमारा पल-पल इसी ख़्वाब को सजोये हुए अभी नींद …
दिन सुहाना था, शाम हसीं है, फिर भी कुछ कमी सी महसूस होती है, कोई गर पास है तो फिर क्यों नयन भरे प्यार के, आंसू बनके भिगोते है.. …
तन्हा है दुनिया की भीड़ में हम, ना ठिकाना, हैं मंजिल की तलाश में गुम, मिलेगा कभी तो खोया संसार, अभी भी नींद से नहीं जागे है हम. .. था हमारा …
बात इतनी सी थी, फ़साना बना दिया, तोडकर मेरे दिल को, अफसाना बना दिया.. टूटे दिल के टुकडो को, देखकर जी रहे है हम, जख्म पहले ही क्या कम …
दर्द ही दर्द है, मेरे दिल में सनम हो गए दूर तुम और कितने, बेबस है हम .. क्या यही है वफ़ा, होके मुझसे जुदा, चल दिए बिन बताये, …
सारे रिश्ते सारे नाते, पल में एक तोड़ चले, मेरे भग्वन, मेरे अरमां मेरा भरम तोड़ चले, दिल के अरमानो की जलती चिता को साथ लिया, हम तेरे बिन, …