Category: रणदीप चौधरी ‘भरतपुरिया’
मैं सैनिक हूँमैं जगता हूँ रातभरचौकस निगाहें गड़ाए हुएउस जगह जहाँ अगली सुबह देख पाऊंइसमे भी संशय हैउसके लिए जो अभी अभीछाती से लगाके सोई है मासूम बच्चे कोमैं …
जीवन में सुख-दुख हैंसिर्फ एक समय तकबदल जाती हैंपरिस्थितियांठीक वैसे ही जैसे भोर मेंओस की बूंदेचमकती हैं पत्तियों परसूर्य के आगमन तक फिर खो जाती हैं कहींतपिश मेंफिर से …
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शाम बढ़ती जा रही थीबेचैनी उमड़ती जा रही थीशाख पर बैठी अकेलीदूर नजरों को फिरातीकुछ नजर आता नहीँफिर भी फिरातीचीं चीं करती मीत को अपने बुलातीपंख अपने फड़फड़ातीबाट में …
मै अबला नादान नहीं हूँदबी हुई पहचान नहीं हूँमै स्वाभिमान से जीती हूँरखती अंदर ख़ुद्दारी हूँमै आधुनिक नारी हूँपुरुष प्रधान जगत में मैंनेअपना लोहा मनवायाजो काम मर्द करते आयेहर …
शीर्षक- मै किसान कहलाता हूँमै आग उगलते आसमान की ही छाया मेंउम्मीद सैंकड़ो लेकर बैल चलाता हूँहाँ, मैं किसान कहलाता हूँ ;ये बेमौसम बरसात सहींआंधी,सूखा,पाला झेलापर फिर भी भारतवर्ष …
भूल जाने की कसमें हैं,फिर मिलने का बहाना है, ये तेरा दिल है जानेमन,या कोई कैदखाना है; कि ऐसे मूँद रखा है,तूने आगोश में अपने, ना मेरी नींद आँखों …
नाम- रणदीप चौधरी ‘भरतपुरिया’ मैं अभी 12th पास करके निकला हूँ मेरी हिंदी मे शुरू से ही रूचि रही है। अब मैं प्री_मेडिकल की तैयारी कर रहा हूँ और …