Category: रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ मत उदास हो मेरे मन करो भोर का अभिनन्दन ! काँटों का वन पार किया बस आगे है चन्दन-वन । बीती रात ,अँधेरा बीता करते …
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ 37 जीवन था चन्दन-वन ऐसी आग लगी झुलसा है तन औ मन । 38 क्या रूप निराले हैं वेश धरे उजले मन इनके काले हैं …
25 साध यही मन में- तेरी पीर हरूँ मैं हर पल जीवन में । 26 जो मुझको दान दिया । तुमको पता नहीं कितना अहसान किया । 27 मन …
13 आँसू सब पी लेंगे जो दु:ख तेरे हैं उनको ले जी लेंगे 14 मन की तुम मूरत हो जितने रूप मिले उनकी तुम सूरत हो 15 …
-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ 1. ये भोर सुहानी है चिड़ियाँ मन्त्र पढ़ें सूरज सैलानी है 2. आँसू जब बहते हैं कितना दर्द भरा सब कुछ वे कहते हैं 3. मन-आँगन …
धरती तपती लोहे जैसी गरम थपेड़े लू भी मारे । अमलतास तुम किसके बल पर खिल- खिल करते बाँह पसारे । पीले फूलों के गजरे तुम भरी दुपहरी में …
अपना मन तो बिल्कुल जोगी जंगल और वीराना क्या । भीड़ नगर की नहीं खींचती महलों का मिल जाना क्या।। फुटपाथों पर नींद थी आई …
अधर पर मुस्कान दिल में डर लिये लोग ऐसे ही मिले पत्थर लिये। आँधियाँ बरसात या कि बर्फ़ हो सो गये फुटपाथ पर ही घर लिये। धमकियों से …
अंधकार ये कैसा छाया अंधकार ये कैसा छाया सूरज भी रह गया सहमकर । सिंहासन पर रावण बैठा फिर से राम चले वन पथ पर। लोग कपट के महलों …
हर दिशा के हाथ में अंगार कैसे आ गए । बेकफ़न ये लाश के उपहार कैसे आ गए ॥ मोल मिट्टी के बिके हैं ,शीश कल बाज़ार में …
उम्र भर रहते नहीं हैं संग में सबके उजाले । हैसियत पहचानते हैं ज़िन्दगी के दौर काले । तुम थके हो मान लेते- हैं सफ़र यह ज़िन्दगी का …
नाचो गाओ ,खुशी मनाओ- आज़ादी है लूटो –खाओ , पियो-पिलाओ आज़ादी है भूखी जनता टूक न मिलता आज़ादी है छीनो -झपटो ,डाँटो –डपटो आज़ादी है दफ़्तर-दफ़्तर ,बैठे अजगर आज़ादी …
अंधकार ये कैसा छाया सूरज भी रह गया सहमकर । सिंहासन पर रावण बैठा फिर से राम चले वन पथ पर । लोग कपट के महलों में रह सारी …
पुकारोगे जो मैं ठहर जाऊँगा तुम्हें छोड़ मैं भला कहाँ जाऊँगा तुम्हारे लिए पलक -पाँवड़े मैं बिछाता रहा गुनगुनाता रहा आज भी वहीं मैं नज़र आऊँगा दूर हो …
1 दूर नभ में चुप तारा अकेला खोजे मीत को । 2 छाई उदासी मन-मरुभूमि में अँखियाँ प्यासी । 3 बाट है सूनी नहीं आया बटोही व्यथा है दूनी …
1 क्षय -पीड़ित हुआ नील गगन साँसें उखड़ीं । 2 तन झुलसा घायल सीने का भी छेद बढ़ा है । 3 कड़ुवा धुँआ लीलता रात-दिन मधुर साँसें । 4 …