Category: राकेश कुमार
1 जितनी भी गुजरी बेमिसाल गुजरी तेरी पनाह में हर चीज बड़ी है मुस्कराते हुऐ पलटे मुक्कदर के पन्ने हमने ज़िन्दगी तेरी आँखों से पढी है 2 जिसपे दूजा …
ख्वाबों में भी चूमते हो तुम भुलाऐ नहीं भूलते हो तुम कुछ याद नहीं हमें तेरे सिवा बात अक्सर ये भूलते हो तुम नशा भी करके देखा है लेकिन …
बेटियाँ सुरक्षित कैसे हों? विधा: परिचर्चा ये बात बहुत खेद की है भारत जैसे महान देश में जिसने पूरे विश्व को चरित्र का पाठ पढाया,बलात्कार जैसे पाप कृत्य होते …
यादें तेरे सुलूक की डसती हैं आज भी मिलने की आरजू में तरसती हैं आज भी आँखे लाख बंद करने के बावजूद रह रहकर के बरसती हैं आज भी …
1 कभी खिड़की में सजाऊँ तुम्हें एक ललाट की बिंदी लगती हो बहुत सरल सहज हो तुम मुझे हर रूप में हिन्दी लगती हो 2 बात ये नहीं की …
ये सच है की तुझसे रूठा नहीं हूँ मैं तू जानती है की झूठा नहीं हूँ मैं खा लें कसम कैसे तेरे सर की तू वो सांस है जिसके …
प्रेम भाव एवं भावना, बहते जैसे मेघ जो पहचाने हृदय को ,वो जाने सब भेद प्रेम उत्तम विशाल है, कैसे जाने ठोर सिर्फ लालसा की गढरी ,बांधे फिरते ढोर …
1 बेशक कितना भी सफल हो जाऊँगा लेकिन मैं भी एक दिन कल हो जाऊँगा फिर समा जाऐगा सबकुछ शुन्य में चाहे कितना भी अव्वल हो जाऊँगा 2 कसम …
जो तुम्हें पसंद हो वो ख्वाब बन जाऐं तेरी बाहों का नूर ए माहताब बन जाऐं सनम अगर आदि हो गये हो नशे के कह दो तो हम फिर …
विषय -नदीदिनांक- 15/06/2020 कल-कल करती अविरल धारा लेकर मनमौजी अनुराग सारा एक दिशा में ही रहती है एक नदी मेरे गाँव में बहती है हर लेती है तृष्णा की …
विषय-मन विधा लघु लेख मन एक विशाल सागर की तरह होता है जिसमें जाने कितनी लहरें पल प्रतिपल हिलोरें मारती हैं। लेकिन अगर इसकी स्थिति शांत नहीं हो तो …
मासूम हथिनी का उदर जलाकर क्या मिला तुझे उसे मौत खिलाकरजल से भी जो ना बुझ पाई कैसे सोया होगा तू ये आग लगाकरनादान थी जो भरोसा कर गयी …
4 जून 2020विधा गजलकाफिया आ स्वर रदीफ़ ही नहीं बहुत नादान है ये दिल किसी की मानता ही नहीं कौन है दुश्मनों में शामिल ये पहचानता ही नहीं पालता …
मंच को सादर नमन विधा- घनाक्षरी छंदये मनुज पशुता का,भीष्ण चरम काल है प्रकृति की गोद सूखी , ये बड़ा सवाल है छोटे छोटे जीव जंतु, जिन्दा पकाती आग …
दिनांक- 11 जून 2020 वार- गुरुवार विषय- बहार विधा- गजलएक तू जो आ जाये तो करार आ जाये इन सूनी फिजाओं में बहार आ जाये जितनी भी काटी है …
मंच को सादर नमन विषय :- मानवता विधा :- लघुकथादिनांक :- 09/06/2020दिवस :- मंगलवारबहुत समय पहले की बात है जब एक जवान जम्मू कश्मीर में स्थानान्तरित हुआ। इसी दौरान …
तिथि– 09-06-2020दिवस– मंगलवारविषय– ग्रहणविधा– छन्दमेरे मन के कटु सागर से सब ग्रहण विकार मिटा दो तुम हे पिताम्बर जग में फिर से वो प्रेम अवतार दिखा दो तुम मेरे …
मंच को सादर नमन विषय -पैमाना मानता हूंँ तुझे बहुत सताता हूँ मैं लेकिन तुझे ही तो अपना बताता हूँ मैं अच्छी लगती है तेरे चेहरे की लाली वरना …
दिनांक-4/6/2020, गुरुवारविषय- आत्मनिर्भर भारतआत्मनिर्भर भारत शब्द का अर्थ बहुत व्यापक है। आज हम अगर बात करें समय की तो आजादी के पहले से ही हम स्वदेशी-स्वदेशी चिल्ला रहे हैं …
विधा गजलदोहा गजलकाफिया आ स्वर रदीफ़ ही नहीं बहुत नादान है ये दिल किसी की मानता ही नहीं कौन है दुश्मनों में शामिल ये पहचानता ही नहीं पालता रहा …
जूट का परिधान पहनकर गात को गाला करता था एक था वीर सावरकर जो काम निराला करता था जिसने बना दी कर्मभूमि कोठरी एक काल की जिसने लिखी अनेक …
नमन मंचदिनांक.. 28/05/2020बिषय.. गीत मुखड़ा हमने भी कभी एक समंदर गोते खाते देखा था एक रूदाली के सपनो में हंशते गाते देखा था अंतरा 1बड़ा विकट सा बहुत सघन …
नमन मंचदिनांक 27/05/20दिन बुधवारविधा गीत विषय : अफवाह मुखड़ाये अफवाह रही अभी तक तेरे शहर की गलियों में मैं तुझे भूल गया हूँ साथी शहर की रंगरलियों में अंतरा …
दिनांक – 25/05/2020 एक मृगनयनी अपने मुखपे चंदन सा सुख खिला रही है एक खग को अपने अँक में प्रेम शुधा नित्त पिला रही है और संग बैठे श्वेत …
मंच को सादर नमन विषय अम्फान पहले करोना अब अम्फानखड़ा देखे बेबस इंसान किसलिए ये वज्रपातकिसकी गलती का है संज्ञान अर्थ खोता चक्रव्यूह है सर्वज्ञ गुनेहगार तू है कर …