जहाँ दुनिया ने एक मेला सा रखा है Raghvendra gupta mohit 12/01/2015 राघवेन्द्र कुमार गुप्ता No Comments चाँदनी रात में उनके लिए पैमाना बना रखा है, लेकिन उन्होने हाथ में खंजर को छुपा रखा है। ईश्क के मैदान में जो जीता न हो कभी, इंसान ने … [Continue Reading...]
कागज पर तो मैंने कई अशआर लिखे है. Raghvendra gupta mohit 12/01/2015 राघवेन्द्र कुमार गुप्ता No Comments दूसरों को उसने प्रेम के इजहार लिखे हैं, मुझको तो बेरुखी के खत हजार लिखे हैं. होती है तेरे खत से तो उम्मीद फूल की, तूने तो जवाबों में … [Continue Reading...]