आत्म:चिंतन ——– बड़ा पुरान एगो कहानी बा बाकिर बड़ा सुहानी बा फुरसत मिले तs सुनाई हम इज़ाज़त दs तs गुनगुनाई हम रहे नादान एगो चिरई अंजान एह दुनिया से …
यूँ जिंदगी से रूठ के जाऊं तो मैं कहाँ हैं जख़्म जो सीने में छुपाऊँ तो मैं कहाँ ! हो दर कोई खाली तो बता दे ए रक़ीब ये …
जिंदगी का से का हो गईल यार हमसे जुदा हो गईल प्यार में जे सहारा रहे उहे हमसे जुदा हो गईल जिंदगी .. जाने कईसन तूफां आ गईल गम …
सावन.. झूम-झूम सावन आयो घिरी-घिरी फिर बदरा छायो रिमझिम-रिमझिम पड़े फुहार झीर-झीर पुरवा बहे बयार तिनक-धिनक-धिन नाचे मोर जब-जब छाये घटा-घनघोर गोपियों के संग रास रचावे मुरली-मधुर बजावे चितचोर …
एक दिन ऐसा आएगा तू.. एक दिन ऐसा आएगा तू.. छोड़ के सब चला जायेगा..२ माटी का ये तन तेरा..२ माटी में ही मिल जायेगा ! एक दिन ऐसा… …