माथै बिन्दिया चमके एसे जैसे फूल गुलाब ! ——— तेरी चुनर बाते करे ह्वा से पह्ली बन !
आजादी इस बस्ती का एक एक पथर मुझ से बोल उठा ……… ये पथिक तू रुक जरा दर्द हमारे सुनता जा ….. इस … मेंडे बोले , खेत बोला …
एकाकी पन मत पुछो मुझ से एकाकी पन क्या होता है न गुजरे किसी पर ऐसा छण मेरा मन ये कहता है ! दिखने मै तो वो यूँ इस …