Category: पंकज पंढरी चरपे
एक लड़का था दीवाना साइंजीनियरिंग इंजीनियरिंग वो करता थालिखते लिखते फाइनल ईयर का एग्जाम ,कर गया अपनी ज़िन्दगी एक लड़की के नाम .एग्जाम के रिजल्ट का कैसा ये हाल …
अब अकेला नहीं तनहाई मेरे साथ होती है, आग़ोश-ए-तसव्वुर में उनसे मुलाकात होती है, सुर्ख आँखो को ढुंढती हर एक रात होती है, अब उसके रुख़सार की चमक और …
उनकी ख़ामोशी कुछ कहती है जिसका हमें पता नहीं, दिल-ए-बेताबियाँ है इतनी की कुछ समज आता नहीं, उनकी झील सी आँखो की गहराई में इस कदर डूब गए है …
खिल उठता है मन चाँद के निकलने से , मन की मयुरी है नाचती उसके कोमल प्रकाश से , चाहत इस दिल की ,कोई चाँद उतर आये इस जीवन …
कब होगा मेरे भी भीतर सत्य का अवतरण । एक एकेला राही चलता है उस मार्ग पर , आएगी एक न एक दिन वो घडी इस आशा को बांधकर …
अब डर लगता है फिर कुछ आगे सोचने से | बचपन से यही सोचता था ,की यही मेरी मंजिल है जहा मुज़े पहुचना है, मगर पहुँचते ही फिर एक …