Category: पंकज चतुर्वेदी
न मेरे पास मोरपंख का मुकुट था न धनुष तोड़ने का पराक्रम कंठ भी निरा कंठ ही था किसी के ज़हर से नीला न हो सका क्षीरसागर में बिछी …
कुशीनगर में एक प्रसिद्ध प्रतिमा है बुद्ध की एक कोण से देखें तो लगता है मुस्करा रहे हैं बुद्ध दूसरे कोण से वे दिखते हैं कुछ विषादित विचार-मग्न तीसरे …
तमाम निराशा के बीच तुम मुझे मिलीं सुखद अचरज की तरह मुस्कान में ठिठक गए आंसू की तरह शहर में जब प्रेम का अकाल पड़ा था और भाषा में …
कुछ चीज़ें अब भी अच्छी हैं न यात्रा अच्छी है न ट्रेन के भीतर की परिस्थिति लेकिन गाड़ी नम्बर गाड़ी के आने और जाने के समय की सूचना देती …
इसी भीड़ में सम्भव है प्रेम इसी तुमुल कोलाहल में जब सूरज तप रहा है आसमान में जींस और टी-शर्ट पहने वह युवती बाइक पर कसकर थामे है युवक …
अल्लाह रक्खा रहमान को संगीत-रचना के लिए ऑस्कर मिला तो देश के दो बड़े हिन्दी अख़बारों के स्थानीय संवाददाताओं ने फ़ोन पर मुझसे सवाल किया : क्या आपको लगता है …