भीतर एक नदी बहती है [email protected] 21/05/2012 ओम निश्चल No Comments चंचल हिरनी बनी डोलती मन के वन में बाट जोहती, वैसे तो वह चुप रहती है भीतर एक नदी बहती है। सन्नाटे का मौन समझती इच्छाओं का मौन परखती … [Continue Reading...]