Category: निवेदिता
उम्र अब आई है मेरे पास मेरी बेटी बन सीने से लिपटी है शोख़ चंचल-सी वह कितनी मासूम-सी है अदा कैसी इठलाती है बलखाती है मेरा बचपन जैसे लौट …
मैं क्या कहूँ मुझसे पहले भी जाने कितनी बार दुहराया गया है यह शब्द कितनी बार रची गई है कविता कितनी बार लिखा गया है इतिहास ‘ढाई आखर’ का …
अब जो आई है वो साथ लाई है हर मौसम का रंग ये मौसम है नर्म पत्तों का ये मौसम है सुर्ख़ गुलाबों का खिले हैं प्यार के हज़ार …
सुनो, साधो सुनो, जो सच तुमने दुनिया के सामने रखा जो इतिहास तुमने रचा और कहा यही है स्त्रियों का सच अपने दिल पर हाथ रख कर कहना कितने …
मैं एक मीठी नींद लेना चाहती हूँ 40 की उम्र में भी चाहती हूँ कि मेरे सर पर हाथ रख कर कोई कहे सब ठीक हो जाएगा ठीक वैसे …