Category: नित्यानन्द तुषार
ख़ुद से बाहर अब निकलकर देखें दूसरों के गम़ भी चलकर देखें टूटने पर टूट जाएगा दिल आप सपनों को सँभलकर देखें रोशनी देते रहे जो कल तक उनकी …
ये माना अजनबी हो तुम, मगर अच्छी लगी हो तुम तुम्हीं को सोचता हूँ मैं, मेरी अब जिंदगी हो तुम ख़ुदा ने सिर्फ़ मेरे वास्ते तुमको बनाया है मैं …
माना काफ़ी सुन्दर हो, तुममें अदभुत आकर्षण है जितना चाहे होली खेलो तुमको खुला निमंत्रण है मेरे मन के अन्दर पावन गंगा का जल बहता है टूट नहीं सकता …
उसके होंठों पर रही जो, वो हँसी अच्छी लगी उससे जब नज़रें मिलीं थीं वो घड़ी अच्छी लगी उसने जब हँसते हुए मुझसे कहा` तुम हो मेरे ` दिन …
हमेशा पास रहते हैं मगर पल-भर नहीं मिलते बहुत चाहो जिन्हें दिल से वही अक्सर नहीं मिलते ज़रा ये तो बताओ तुम हुनर कैसे दिखाएँ वो यहाँ जिन बुत-तरासों …
हम भटकते हैं पर अब वफ़ा के वास्ते चोट खाते हैं बहुत हम इस ख़ता के वास्ते जिसका बच्चा भूख से बेहाल है उस हाल में दूध, मन्दिर ले …
धुंध-सी छाई हुई है आज घर के सामने कुछ नज़र आता नहीं है अब नज़र के सामने सिर कटाओ या हमारे सामने सजदा करो शर्त ये रख दी गई …
जो रहे सबके लबों पर उस हँसी को ढूँढ़िए बँट सके सबके घरों में उस खुश़ी को ढूँढ़िए देखिए तो आज सारा देश ही बीमार है हो सके उपचार …
ज़िन्दगी में जब हमारी ज़िन्दगी आने लगी तब उदासी घर हमारा छोड़कर जाने लगी उँगलियों से छू दिया जिस चीज़ को तुमने ज़रा सच कहें तो चीज़ वो मन …
ज़िन्दगी की इक हक़ीकत आपसे कहता हूँ मैं बिजलियों के दरमियाँ ही रात-दिन रहता हूँ मैं तैरता है जिसका चेहरा मेरे दिल की झील में उसकी ख़ुशबू से महककर …